प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद अब आज कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज गुजरात दौरे पर गांधीनगर आ रहे हैं. राहुल यहां कांग्रेस की ओर से आयोजित ‘नवसर्जन गुजरात जनादेश’ रैली में हिस्सा लेंगे. इस दौरान ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर कांग्रेस पार्टी में औपचारिक रूप से शामिल होंगे.
इसके साथ ही कांग्रेस ने इस दौरान राहुल से मुलाकात के लिए पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और दलित नेता जिग्नेश मेवानी को भी दावत दी है. हालांकि इंडिया टुडे से बातचीत में इन दोनों नेताओं ने ऐसी किसी न्योते से इनकार किया है.
युवा शक्ति का साथ
गुजरात की सत्ता से कांग्रेस 22 साल से बाहर चल रही कांग्रेस इस बार सिंहासन पर वापसी की पूरी कोशिश कर रही है. राज्य की 65 फीसदी आबादी की उम्र 35 साल से कम है, ऐसे कांग्रेस की कोशिश इस ‘युवा शक्ति’ को साध कर सत्ता तक पहुंचने की है. इसके लिए पार्टी हार्दिक पटेल, मेवानी और ठाकोर जैसे युवा नेताओं को अपनी तरफ लाने की कोशिश कर रही है. इन नेताओं के पास अपने अपने समुदायों में खासा जनाधार है.
गुजरात के रण में अल्पेश का महत्व
गुजरात के चुनावी रण में अल्पेश ठाकोर का महत्व इसी से समझा है कि ठाकोर जिस ओबीसी समुदाय के प्रतिनिधित्व का दावा करते हैं, राज्य में उसकी आबादी 54 फीसदी के करीब है. यही वजह है कि अल्पेश चुनावी चौसर पर अपना दांव बेहद चतुराई से चल रहे हैं. वह सार्वजनिक मंचों से बीजेपी को हराने की हर मुमकिन कोशिश की घोषणा कर चुके हैं.
वहीं जिग्नेश मेवानी ने राज्य में युवा दलित नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई है. जिग्नेश पेशे से वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. सूबे में करीब 7 फीसदी दलित मतदाता हैं. ऐसे में राज्य स्तर पर यह संख्या तो कम लगती है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के सपनों पर परवान चढ़ाने में यह दलित वोटबैंक काफी अहम भूमिका निभा सकता है.
जहां तक राज्य में पटेलों की बात करें, तो संख्या के हिसाब से वह भले ही उतनी बड़ी आबादी न हों, लेकिन यह तबका सूबे में काफी प्रभावशाली माना जाता है. ऐसे में हार्दिक पटेल अगर कांग्रेस के साथ आते या समर्थन करते हैं, तो कांग्रेस को इससे बड़े सियासी फायदे की उम्मीद है. ये दोनों नेता यूं तो मुखर रूप से बीजेपी विरोधी रहे हैं, लेकिन उन्होंने अब तक कांग्रेस के समर्थन की घोषणा नहीं की है. ऐसे में राहुल गांधी की रैली में इन दोनों नेताओं का भी समर्थन मिलने की उम्मीद की जा रही है.
शायद यही वजह है कि गुजरात कांग्रेस प्रमुख भरतसिंह सोलंकी खुल कर इन तीनों नेताओं को साथ लाने की कोशिश करते रहे हैं. बीते दिनों सोलंका ने भरोसा जताया कि इन नेताओं के ‘समर्थन और आशीर्वाद’ से पार्टी कुल 182 सीटों में 125 से ज्यादा सीटें आसानी से जीत जाएगी. सोलंकी ने संवाददाताओं से कहा, ‘हालांकि भाजपा चुनाव जीतने के लिए पूरी कोशिश कर रही है पर गांधीनगर के लिए कांग्रेस के विजय मार्च को रोकने में उसे सफलता नहीं मिलेगी.’
कांग्रेस इन तीनों युवा नेताओं के साथ जेडीयू नेता छोटू वसावा को भी अपने साथ लाने की कोशिश में है. वसावा ने राज्यसभा चुनावों में पार्टी लाइन से इतर जाकर कांग्रेस उम्मीदवार अहमद पटेल को वोट दिया और इसी से उनकी जीत सुनिश्चित हो पाई थी.