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जोहानिसबर्ग में हरियाली कर रही टीम इंडिया का इंतजार

बेथुएल बुथेलेजी और क्रिस स्कॉट। साउथ अफ्रीकी क्रिकेट में इन दो नामों की चर्चा आज सबसे ज्यादा हो रही है। यह इंद्रधनुषी देश के इतिहास में पहली बार किसी वर्ल्ड नंबर- 1 टेस्ट टीम के खिलाफ वाइटवॉश का सपना देख रही है। उस सपने को पूरा होने के लिए यह बेहद जरूरी है कि ये दो शख्स अपने काम को बखूबी अंजाम दें। जोहानिसबर्ग में हरियाली कर रही टीम इंडिया का इंतजार

वांडरर्स के विकेट को तैयार करने की जिम्मेदारी बुथेलेजी और स्कॉट पर है। सेंचुरियन की पिच ने जिस तरह से उप-महाद्वीप की पिचों की तरह बर्ताव किया, उसके बाद उसकी काफी आलोचना हुई। कप्तान फाफ डु प्लेसिस ने तो खुलकर पिच पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘हम पेस और बाउंस चाहते थे। लेकिन हमें उप-महाद्वीप जैसी पिच मिली, जोकि भारत को फायदा पहुंचा रही थी।’ 

नंबर 1 बनने का मौका
साउथ अफ्रीका आज तक टेस्ट में भारतीय टीम का सफाया नहीं कर पाया है। सबसे करीबी मौका उन्हें 1996-97 में मिला था, जब हैंसी क्रोनिए की टीम ने सचिन तेंडुलकर की टीम को तीन मैचों की सीरीज 2-0 से हराया था। साउथ अफ्रीका के पास इस बार वाइटवॉश के साथ-साथ दुनिया की नंबर वन टीम के बराबर आईसीसी रैंकिंग्स लिस्ट में बराबर 118 पॉइंट बनाने का भी मौका होगा। 

भारतीय टीम की अगली सीरीज इंग्लैंड से अगस्त में है, जबकि साउथ अफ्रीका को उससे पहले ही होम ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है। उस सीरीज में साउथ अफ्रीकी टीम 2-0 या फिर 3-1 से जीत हासिल करने में सफल रहती है, तो वह भारत को पीछे धकेलते हुए आईसीसी रैंकिंग्स में नंबर वन पोजिशन पर पहुंच जाएगी, जो उसने भारत के हाथों जनवरी 2016 में गंवा दी थी। 

ग्राउंड और पिच में फर्क नहीं
प्रोटियाज अपना खोया गौरव हासिल करने को बेताब नजर आ रहे हैं। इस कारण से वांडरर्स की विकेट आकर्षण के केंद्र में है। मौजूदा वक्त में यहां के पिच के बारे में बताया जाए तो यही कहा जा सकता है कि यहां ग्राउंड और पिच में फर्क कर पाना लगभग नामुमकिन सा काम है। गौटेंग क्रिकेट बोर्ड के मुख्य कार्यकारी ग्रेग फ्रेडरिक्स कहते हैं, ‘सेंचुरियन टेस्ट के बाद हमें कई एसएमएस और व्हाट्सअप मैसेज आए वहां की पिच को लेकर। लेकिन मुझे बुथेलेजी और स्कॉट पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा है कि वे कप्तान को शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे। इस पिच पर उन्हें पेस और बाउंस दोनों ही मिलेगा।’ 
बल्लेबाज होते हैं परेशान
वांडरर्स की पारंपरिक पिच पर बल्लेबाजों को मुश्किल पेश आती है। इस पिच पर टेस्ट पार्टरनरशिप का ऐवरेज 30.05 का रहा है। पूरे साउथ अफ्रीका में इससे कम ऐवरेज बस पोर्ट एलिजाबेथ की पिच का है। एलन डोनाल्ड ने कहा, ‘इस सीरीज में भारत के लिए वांडरर्स की पिच सबसे मुश्किल पिच होने वाली है। यहां पेस और बाउंस के अलावा लेटरल मूवमेंट भी होगा। प्रोटियाज का आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ है।’ कप्तान फाफ डु प्लेसिस भी कुछ ऐसा ही महसूस कर रहे हैं। उनकी राय में भारत ने 2011 में अपनी टर्न लेती पिचों की मदद से उन्हें 3-0 से हराया था। 

उन्होंने कहा, ‘उस सीरीज में पिच अविश्वसनीय रहे थे। कोई भी टेस्ट तीन दिन से आगे नहीं बढ़ा। हमने भारत को कभी भी 3-0 से नहीं हराया है, लेकिन इस बार हमारे पास मौका है और हम इसे भुनाने के लिए तैयार बैठे हैं।’ 

पिछला रेकॉर्ड बेहतर
ऐसे में अभी तक सीरीज में नहीं खेले तेंबा बाउमा और थेउनिस डी ब्रुइन को इस मैच में मौका मिल जाए। एडेन मार्कराम को जांघ की मांसपेशियों में चोट है और उन्हें सोमवार को फिटनेस टेस्ट पास करना होगा। हालांकि इस 
ग्राउंड पर भारत का पिछला रेकॉर्ड बेहतर रहा है। 2006 में भारत ने इस ग्राउंड में सीरीज का पहला मैच खेला था और उसमें जीत हासिल की थी। चार साल पहले इसी ग्राउंड पर भारत ने जीत हासिल करने का मौका गंवा दिया था। लेकिन इस बार यह तय है कि पिच पिछले दो बार की माफिक सपाट नहीं होने वाली। टेस्ट के पहले दो दिन दोपहर में बारिश होने की आशंका है। ऐसे में सवाल अब बस यही है कि क्या भारत इन उलट हालात पर पार पाते हुए यहां जीत दर्ज कर पाएगा। 

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