मानव इतिहास की सबसे भयावह भोपाल गैस कांड की सिर्फ बरसी पर ही आती है याद
उस सुबह यूनियन कार्बाइड के प्लांट नंबर ‘सी’ में हुए रिसाव से बने गैस के बादल को हवा के झोंके अपने साथ बहाकर ले जा रहे थे और लोग मौत की नींद सोते जा रहे थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस दुर्घटना के कुछ ही घंटों के भीतर तीन हजार लोग मारे गए थे। हालांकि, गैरसरकारी स्रोत मानते हैं कि ये संख्या करीब तीन गुना जयादा थी।
त्रासदी के दुष्प्रभाव जारी, आज की पीढ़ी भी है प्रभावित:
33 साल बाद भी, गैस के संपर्क में आने वाले कई लोगों ने शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम बच्चों को जन्म दिया है। हालांकि लोग तो दशकों से, साइट को साफ करने के लिए भी लड़ रहे हैं, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, 2001 में मिशिगन स्थित डॉव केमिकल के यूनियन कार्बाइड पर कब्जा करने के बाद कार्य धीरे हो गया।
मानवाधिकार समूह कहते हैं कि हजारों टन खतरनाक अपशिष्ट भूमिगत दफनाया गया है, और यहां तक की सरकार ने स्वीकार किया है कि क्षेत्र दूषित है। स्वस्थ को लेकर हालात कुछ ऐसे हैं की, भोपाल गैस कांड के बाद सरकार की ओर से बनाए गए गैस राहत विभाग में हर माह दर्जन भर आवेदन ऐसे आते हैं, जिसमें कैंसर के इलाज के लिए आर्थिक सहायता की मांग की जाती है।
बता दें की इस गैस त्रासदी में पांच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए थे। हजारों लोग की मौत तो मौके पर ही हो गई थी. जिंदा बचे लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। कैंसर एक अकेली बीमारी नहीं है, जिससे गैस प्रभावित लोग जूझ रहे हैं, सैकड़ों बीमारियां हैं। घटना के 33 साल बाद भी गैस कांड के दुष्प्रभाव खत्म नहीं हो रहे हैं।