पीवी सिंधु ने जीता ब्रॉन्ज मेडल,पुरुष हॉकी टीम भी क्वार्टर फाइनल में
नई दिल्ली: भारतीय शटलर पीवी सिंधु ने महिला एकल मैच में चीन की ही बिंगजियाओ को 21-13, 21-15 से हराकर कांस्य पदक जीता है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय शटलर पीवी सिंधु को टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने पर बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि वे भारत का गौरव हैं।लगातार दो ओलंपिक पदक जीतने वाली भारत की पहली बैडमिंटन खिलाड़ी और दूसरी एथलीट बन गईं।
ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह सिंधु का मात्र दूसरा ओलंपिक था। रियो में सिंधु ने डेब्यू किया था।यही नहीं, पहलवान सुशील कुमार के बाद लगातार दो ओलंपिक पदक जीतने वाली सिधु दूसरी भारतीय हैं। सुशील ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य और 2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीता था।
रियो ओलंपिक में सिंधु फाइनल में स्पेन की केरोलिना मारिन के हाथों हार गई थीं। यहां टोक्यो में सिंधु को सेमीफाइनल में ताइवान की ताए जू यिंग के हाथों हार मिली थी।सिंधु के इस पदक के साथ टोक्यो में भारत के कुल दो पदक हो गए हैं। इससे पहले वेटलिफ्टिंग में मीराबाई चानू ने रजत पदक जीत था।
इस तरह भारत ने रियो में जीत गए पदकों की बराबरी कर ली है। रियो में सिंधु ने जहां कांस्य जीता था वहीं साक्षी मलिक ने कुश्ती में कांस्य जीता था।
भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020 ) का 9वां दिन शानदार रहा. बैडमिंटन में जहां पीवी सिंधु (ndias Pusarla V Sindhu) ने कांस्य पदक जीतकर भारत को दूसरा पदक दिलायी. वहीं 8 बार की ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट भारतीय पुरुष हॉकी टीम (Indian men’s hockey team ) 41 साल बाद सेमीफाइनल में पहुंच गयी है. इसके साथ ही भारतीय टीम अब पदक से केवल एक जीत पीछे रह गयी है.
क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराया और यह उपलब्धि हासिल की. अब भारत की भिड़ंत सेमीफाइनल में मौजूदा विश्व चैंपियन बेल्जियम से होगी. जिसने क्वार्टर फाइनल में स्पेन को 3-1 से हराया. दूसरा सेमीफाइनल ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के बीच खेला जाएगा. भारत की तरफ से दिलप्रीत सिंह (7वें), गुरजंत सिंह (16वें) और हार्दिक सिंह (57वें मिनट) ने गोल किये. जबकि ग्रेट ब्रिटेन की तरफ से एकमात्र गोल सैमुअल इयान वार्ड (45वें) ने किया.
भारत ने ओलंपिक में आखिरी पदक मास्को ओलंपिक 1980 में स्वर्ण पदक के रूप में जीता था, लेकिन तब केवल छह टीमों ने भाग लिया था और राउंड रोबिन आधार पर शीर्ष पर रहने वाली दो टीमों के बीच स्वर्ण पदक का मुकाबला हुआ था. इस तरह से भारत 1972 में म्यूनिख ओलंपिक के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचा है.
1980 मॉस्को ओलंपिक में भारत ने वासुदेवन भास्करन की कप्तानी में आखिरी बार गोल्ड मेडल जीता था. उसके बाद भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन लगातार खराब होता गया. रियो ओलंपिक में तो भारतीय पुरुष हॉकी टीम आखिरी स्थान पर रही थी.