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दिग्विजय का आरोप, मोदी सरकार के कार्यकाल में सामाजिक समरसता को बाधित कर समाज में कटुता बढ़ी

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर तीखा हमला बोलकर आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सामाजिक समरसता को बाधित कर धर्मांधता के नाम पर समाज में कटुता फैलाई गई। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार धनी वर्ग की जगह आम आदमी से अधिक कर ले रही है,सिंह ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की नीति एक संगठन से प्रभावित है, जिसका लोकतांत्रिक मूल्यों व संविधान में विश्वास नहीं है और संगठन ने तिरंगा व संविधान का विरोध किया था। उन्होंने किसी संगठन का नाम लिए बिना कहा कि उस संगठन का प्रयास एक वर्ग को राष्ट्रविरोधी बताना तथा देश में वैमनस्य को बढ़ावा देना है। उन्होंने पिछले दिनों हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में दिए भड़काऊ भाषणों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्माद फैलाने वाले भाषणों पर पीएम मोदी ने कोई टिप्पणी नहीं की।

दिग्विजय सिंह राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग ले रहे थे। उन्होंने कहा कि 2014 में जब मोदी सरकार आयी थी,तब उसने काला धन वापस लाने और महंगाई कम करने सहित तमाम वादे किए थे। लेकिन मोदी सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरकार की सामाजिक-आर्थिक नीति ऐसी रही है, जिससे धनी वर्ग और धनी हो रहा हैं, वहीं गरीब लोग और गरीब हो रहे हैं। उन्होंने पिछली संप्रग सरकार और भाजपा नीत मौजूदा सरकार के आंकड़ों की तुलना करते हुए कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में कुल कर संग्रह में प्रत्यक्ष कर की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से भी ज्यादा थी जिसका अर्थ है, कि धनी वर्ग पर ज्यादा कर लगता था। उन्होंने कहा कि लेकिन इस सरकार में स्थिति उलट है, और अब अप्रत्यक्ष कर की हिस्सेदारी बढ़ी है इससे स्पष्ट होता है कि धनी वर्ग कम कर दे रहा है और निर्धन वर्ग व आम आदमी से अधिक कर वसूला जा रहा है।

सिंह ने देश में बेरोजगारी में तेजी से वृद्धि होने का दावा करते हुए कहा कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश में अमीर-गरीब की खाई सबसे ज्यादा भारत में ही है। उन्होंने कहा कि सरकार के कदम गरीब विरोधी हैं और वह एक ओर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में लगातार वृद्धि करती रही वहीं दूसरी ओर सब्सिडी भी घटाती रही जो आम आदमी को मिलती है। उन्होंने दावा किया कि सब्सिडी में 27 प्रतिशत तक की कमी की गई, जबकि कार्पोरेट कर पर कोई फर्क नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि सरकार को उन लोगों पर कर लगाना चाहिए जिनकी आय कोविड महामारी के दौरान बढ़ी। उन्होंने सरकार पर गरीब, किसान व मजदूर विरोधी होने का आरोप लगाकर कहा कि यह सरकार संसदीय व लोकतांत्रिक परंपराओं में विश्वास नहीं करती। उन्होंने कहा कि कानून बनाने से पहले संबंधित पक्षों से गहन विचार विमर्श जाता है और संसदीय समिति में भी उस पर चर्चा की जाती है।

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