देवउठनी एकादशी आज, इस विधि से करें पूजा, भगवान विष्णु की होगी विशेष कृपा
नई दिल्ली। आज 04 नवंबर दिन शुक्रवार को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi ) व्रत है. आज के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) जा करने का विधान है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है, जैसा कि देवउठनी एकादशी व्रत की कथा में बताया गया है. आज के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं, जिसके साथ ही चातुर्मास (Chaturmas) का समापन हो जाता है. चातुर्मास के खत्म होते ही मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाती है, इस दिन के बाद से विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि के शुभ मुहूर्त भी मिलने लगते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य (astrologer) ने देवउठनी एकादशी व्रत के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताया.
देवउठनी एकादशी मुहूर्त 2022
कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ: 03 नवंबर, गुरुवार, शाम 07 बजकर 30 मिनट से
कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 04 नवंबर, शुक्रवार, शाम 06 बजकर 08 मिनट पर
पूजा का शुभ समय: सुबह 06 बजकर 35 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक
देवउठनी एकादशी व्रत का पारण समय: 05 नवंबर, सुबह 06 बजकर 36 मिनट से सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक
द्वादशी तिथि का समापन: 05 नवंबर, शाम 05 बजकर 06 मिनट पर
देवउठनी एकादशी का महत्व
पदम पुराण में वर्णित एकादशी महात्यम के अनुसार देवोत्थान एकादशी व्रत का फल एक हज़ार अश्वमेघ यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर होता है। एकादशी तिथि का उपवास बुद्धिमान,शांति प्रदाता व संततिदायक है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्त्व है। इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के पाप क्षीण हो जाते हैं तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। विष्णु पुराण के अनुसार किसी भी कारण से चाहे लोभ के वशीभूत होकर या मोह के कारण जो एकादशी तिथि को भगवान विष्णु का अभिनंदन करते है वे समस्त दुखों से मुक्त होकर जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाते हैं।
देवउठनी एकादशी व्रत और पूजा विधि
- आज प्रात: स्नान के बाद देवउठनी एकादशी व्रत और विष्णु पूजा का संकल्प करें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में पूजा करें.
- भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की मूर्ति या तस्वीर को एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर स्थापित करें. उसके बाद उनको पंचामृत से स्नान कराएं. फिर उन्हें पीले रंग के वस्त्र चढ़ाएं.
- फिर भगवान विष्णु को चंदन, पीले फूल, हल्दी, रोली, अक्षत्, धूप, नैवेद्य, दीप, बेसन के लड्डू, तुलसी के पत्ते, गुड़ आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का उच्चारण करते रहें.
- इसके बाद विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम और देवउठनी एकादशी (Vishnu Sahasranama and Devuthani Ekadashi) व्रत कथा का पाठ करें. फिर घी के दीपक से भगवान विष्णु की आरती करें.
- पूजा के समापन पर भगवान विष्णु से अपनी मनोकामना व्यक्त करें. फिर दिनभर फलाहार पर रहें. भक्ति और भजन में समय व्यतीत करें. शाम को संध्या आरती करें.
- आज रात्रि के समय जागरण करें. अगले दिन सुबह स्नान-ध्यान के बाद पूजा पाठ करें. किसी ब्राह्मण को पूजा में चढ़ाई गई वस्तुओं का दान करें. दक्षिण देकर विदा करें.
- इसके बाद पारण समय में भोजन करके व्रत को पूरा करें. इस प्रकार से देवउठनी एकादशी व्रत रखना चाहिए. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होंगे और उनकी कृपा प्राप्त होगी.
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं हम इसकी जांच का दावा नहीं करते हैं इन्हें अपनाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.