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7 सितंबर को इंडोनेशिया जाएंगे PM मोदी, आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में लेंगे भाग

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को जकार्ता में 10 देशों के प्रभावशाली समूह ‘आसियान’ के नेताओं के साथ शिखर वार्ता करेंगे जिसके बाद भारत-आसियान समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नयी पहल के सामने आने की उम्मीद है। यह जानकारी इस बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने दी। मोदी 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए बुधवार रात इंडोनेशिया की राजधानी के लिए रवाना होंगे। इंडोनेशिया आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन) के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। आसियान को क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है और भारत तथा अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं। समूह के नेताओं के साथ मोदी की बातचीत में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ भारत के व्यापार एवं सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है।

आसियान शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद जी20 शिखर सम्मेलन होगा
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) सौरभ कुमार ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि मोदी शिखर सम्मेलन में आसियान-भारत संबंधों में प्रगति की समीक्षा करेंगे और उन्हें आगे की दिशा प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री 6 सितंबर की रात को दिल्ली से प्रस्थान करेंगे और 7 सितंबर की देर शाम को लौटेंगे। यह देखते हुए कि आसियान शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद जी20 शिखर सम्मेलन होगा, यह एक छोटी यात्रा होगी।”

यह पूछे जाने पर कि क्या चीन द्वारा तथाकथित “नए मानक” मानचित्र जारी करने का मुद्दा शिखर वार्ता में उठेगा, कुमार ने कहा, “यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि जब नेता मिलेंगे तो क्या चर्चा होगी, लेकिन जो मुद्दे परस्पर चिंता के हैं- क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय– सभी उठाए जाएंगे।” इस सवाल पर कि क्या आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में इस मुद्दे पर मानचित्र को अस्वीकार करने के लिए आम सहमति की संभावना है क्योंकि समूह के कई सदस्य देशों ने पहले ही चीन की मानचित्रण आक्रामकता की आलोचना की है, वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वह अनुमान नहीं लगा सकते कि चर्चाओं से क्या बाहर आएगा।

बीजिंग ने 28 अगस्त को जारी किया था “चीन के मानक मानचित्र” का 2023 संस्करण
बीजिंग ने 28 अगस्त को “चीन के मानक मानचित्र” का 2023 संस्करण जारी किया जिसमें ताइवान, दक्षिण चीन सागर, अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीनी क्षेत्रों के रूप में दिखाया गया है। भारत ने ‘नक्शे’ को खारिज कर दिया है और इस पर चीन के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है। दक्षिण चीन सागर पर चीन के क्षेत्रीय दावे से नाराज मलेशिया, वियतनाम और फिलीपीन पहले ही दावे को खारिज कर चुके हैं। कुमार ने कहा कि नई दिल्ली आसियान बैठक कार्यक्रम में समायोजन करने के लिए इंडोनेशिया की सराहना करती है ताकि प्रधानमंत्री की शीघ्र वापसी को सुविधाजनक बनाया जा सके।

यात्रा के दौरान कोई द्विपक्षीय (बैठक) नहीं होगी
कुमार ने कहा, ‘‘यह बहुत छोटी यात्रा है क्योंकि प्रधानमंत्री जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे और प्रयास इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन (आसियान-भारत) में भाग लेने और जितनी जल्दी हो सके स्वदेश वापस आने का है। इसलिए यात्रा के दौरान कोई द्विपक्षीय (बैठक) नहीं होगी।” उन्होंने कहा कि आसियान-भारत शिखर सम्मेलन “विशेष” होगा क्योंकि पिछले साल दोनों पक्षों के बीच संबंधों के व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक पहुंचने के बाद यह पहला शिखर सम्मेलन है। कुमार ने कहा, ‘‘आसियान के साथ भारत के संबंध हमारी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के साथ-साथ व्यापक हिंद-प्रशांत के लिए भारत के दृष्टिकोण का केंद्रीय स्तंभ हैं। भारत और आसियान के बीच व्यापक संबंध हैं।” भारत और वियतनाम तथा इंडोनेशिया से उड़ान सम्पर्क की शुरुआत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि समूह के अन्य सदस्य देशों के साथ भी इसी तरह का सम्पर्क पर विचार किया जा रहा है।

आर्थिक संबंधों पर, कुमार ने कहा कि 2022-23 में भारत-आसियान व्यापार मात्र 131.5 अरब अमेरिकी डॉलर का था। उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष के दौरान भारत के व्यापार में इसका योगदान 11 प्रतिशत से अधिक था और यह भारत-यूरोपीय संघ व्यापार के बाद दूसरा सबसे बड़ा व्यापार है।” उन्होंने कहा कि अगस्त में आसियान-भारत आर्थिक मंत्रियों की बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने आसियान-भारत माल व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की समीक्षा शुरू की और इसे 2025 तक पूरा करने पर सहमति व्यक्त की। आसियान के 10 सदस्य देशों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमा और कंबोडिया शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत और आसियान के बीच संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें व्यापार और निवेश के साथ-साथ सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

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