अमेरिका में छात्रों के लिए एक बड़ा झटका…. वीज़ा इंटरव्यू पर लगी रोक

नई दिल्ली: अमेरिका में पढ़ाई का सपना देख रहे लाखों अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एक बड़ा झटका सामने आया है। ट्रंप प्रशासन ने एक नया कदम उठाते हुए छात्र (F), व्यावसायिक (M), और एक्सचेंज विजिटर (J) वीज़ा इंटरव्यू की नई अपॉइंटमेंट्स पर अस्थायी रोक लगा दी है। इस फैसले का मकसद विदेशी छात्रों की सोशल मीडिया गतिविधियों की गहराई से जांच करना है — एक नई स्क्रीनिंग प्रक्रिया की तैयारी के तहत यह निर्णय लिया गया है।
क्या है नया निर्देश?
पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी विदेश विभाग ने दुनियाभर के अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों को यह स्पष्ट निर्देश जारी किया है कि जब तक नया दिशा-निर्देश नहीं आता, तब तक नए वीजा इंटरव्यू की अपॉइंटमेंट्स शेड्यूल न की जाएं। इस आदेश पर विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हस्ताक्षर किए हैं, और यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
डिजिटल गतिविधियों की होगी निगरानी
यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब अमेरिकी कैंपसों में इजरायल-गाजा संघर्ष को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन देखे गए, जिनमें कई विदेशी छात्र भी शामिल थे। रिपोर्टों के अनुसार, पहले भी कुछ छात्रों को सोशल मीडिया गतिविधियों के आधार पर जांच का सामना करना पड़ा था। अब सरकार इस प्रक्रिया को और व्यापक बनाने की तैयारी कर रही है।
सरकार की प्रतिक्रिया:
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने बयान जारी करते हुए कहा कि अमेरिका में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की जांच आवश्यक है, चाहे वह छात्र हो, पर्यटक हो या किसी भी प्रकार का वीज़ा धारक। उन्होंने इसे विवादास्पद न मानने की अपील करते हुए कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि देश में आने वाले लोग कानून का सम्मान करें और अमेरिका की सामाजिक व्यवस्था में सकारात्मक योगदान दें।”
विश्वविद्यालयों और अर्थव्यवस्था पर असर
जानकारों का कहना है कि इस निर्णय का सीधा असर अमेरिका की उच्च शिक्षा व्यवस्था और अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। 2023-24 के शैक्षणिक सत्र में अमेरिका में 11 लाख से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र दर्ज थे, जिन्होंने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में लगभग 44 अरब डॉलर का योगदान दिया। यह निर्णय न केवल इन छात्रों के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि विश्वविद्यालयों की आमदनी और स्थानीय रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी भी निशाने पर
रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाया है। प्रशासन ने विदेशी छात्रों को नामांकित करने के अधिकार को चुनौती दी और हार्वर्ड पर यहूदी विरोध को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। हालांकि, एक संघीय अदालत ने इस फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है।
क्या होगा आगे?
भारत, चीन, कोरिया, ब्राजील और नाइजीरिया जैसे देशों के छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों का अभिन्न हिस्सा हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस तरह के प्रतिबंधों की नीति जारी रही, तो अमेरिका की वैश्विक शैक्षणिक नेतृत्व की स्थिति कमजोर हो सकती है।