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Brexit Referendum: ब्रिटेन के अलग होने से बदलेगा दुनिया का आर्थिक नक्शा

l_1-1466753169एजेंसी/ लंदन। ब्रिटेन के लोगों ने अपने ऐतिहासिक फैसले में देश को यूरोपीय संघ से अलग करने का फैसला कर लिया। ऐसे में अब ब्रिटेन 28 देशों वाले यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा। 43 साल बाद हुए इस ऐतिहासिक जनमत संग्रह में ब्रिटेन की जनता ने मामूली अंतर से अलग करने के पक्ष में अपना मत दिया। इन नतीजों के बाद से प्रधानमंत्री डेविड कैमरून पर इस्ताफे का दबाव बढ़ गया है।

जानकारों की मानें तो भारत के ब्रिटेन और यूरोपीय संघ दोनों के साथ कारोबारी संबंध हैं। ऐसे में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर होने का सीधा असर भारतीय व्यापार पर भी होगा। भारत के वित्त सचिव अशोक लवासा ने इस घटनाक्रम पर कहा है कि सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया उपायों के साथ तैयार हैं।

उधर, उद्योग संघों ने पहले ही ब्रिटेन के ईयू से बाहर निकलने की स्थिति में सरकार से आपात योजना तैयार रखने को कह दिया था। उद्योग संगठन एसोचैम ने अपने बयान में कहा कि एक प्रमुख उभरते बाजार के रूप में भारत में बड़े पैमाने पर उतार-चढ़ाव हो सकता है और बड़े स्तर पर विदेशी निवेशक पूंजी निकाल सकते हैं।

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के मुताबिक भारत बाकी यूरोप की तुलना में ब्रिटेन में अधिक निवेश करता है। भारत ब्रिटेन का तीसरा सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक है। भारत के अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार में ब्रिटेन 12वें स्थान पर है। जिन 25 देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक संतुलन भारत पक्ष में झुका हुआ है उनमें ब्रिटेन सातवें स्थान पर है।

वाणिज्य मंत्रालय आंकड़ों के मुताबिक, 2015-16 में ब्रिटेन के साथ भारत का व्यापार 14.02 अरब डॉलर रहा, जिसमें से 8.83 अरब डॉलर निर्यात और 5.19 अरब डॉलर आयात था। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के भी मुताबिक यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के निकलने से भारतीय कारोबार में अनिश्चितता आएगी। इसके साथ ही निवेश और ब्रिटेन जाने वाले पेशेवरों के रुझान पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

31 साल में पहली बार डॉलर से जीता पाउंड  

ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर नाटकीय असर 31 साल यानी 1985 के बाद यह पहली बार है जब पाउंड डॉलर के मुकाबले नीचे आया है। जानकारी के अनुसार नतीजे आने से पहले पाउंड 1.50 डॉलर पर चल रहा था लेकिन जब रुझान यूरोपीय यूनियन से अलग होने के पक्ष में दिखने लगा तो पाउंड 1.41 डॉलर पर आ गया। 

कारोबारियों का कहना है कि हाल के वर्षों में 2008 के आर्थिक संकट के बाद ये पहला मौका है जब उन्होंने पाउंड को इस तरह बदलते देखा है। लोगों का कहना है कि जनमत संग्रह के नतीजे का ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर नाटकीय असर हो सकता है। यह असर यूरोप और अन्य देशों को भी अपने दायरे में ले सकता है। 

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