लेह में चोटी से गिरने पर पैर में लगी थी चोट, BSF जवान विनोद कुमार ने 42 की उम्र में जीता टोक्यो पैरालंपिक में मेडल
नई दिल्ली. भारत के डिस्कस थ्रोअर विनोद कुमार (Vinod Kumar) ने रविवार को एशियाई रिकॉर्ड के साथ पुरुषों की एफ52 स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता, जो टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics) में भारत का तीसरा पदक है. बीएसएफ के 42 साल के जवान विनोद कुमार ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से तीसरा स्थान हासिल किया. वह पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे रहे जिन्होंने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किए.
विनोद की यहां तक पहुंचने की कहानी संघर्षों से भरी है. उनके पिता 1971 भारत-पाक युद्ध में लड़े थे. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में जुड़ने के बाद ट्रेनिंग करते हुए वह लेह में एक चोटी से गिर गए थे जिससे उनके पैर में चोट लग गई थी. इसके कारण वह करीब एक दशक तक बिस्तर पर रहे थे और इसी दौरान उनके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया था.
इस उपलब्धि पर विनोद को बधाई देने वालों का तांता लग गया. सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय पैरालंपिक समिति की प्रमुख दीपा मलिक के अलावा अन्य कई दिग्गज हस्तियों ने विनोद को बधाई दी. एफ52 स्पर्धा में वही एथलीट हिस्सा लेते हैं, जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं. रीढ़ की हड्डी में चोट वाले या ऐसे खिलाड़ी जिनका कोई अंग कटा हो, वे भी इसी वर्ग में हिस्सा लेते हैं.
भारत ने रविवार को टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Paralympics) में पदकों की हैट्रिक लगा दी. भाविना पटेल ने टेबल टेनिस में सिल्वर, निषाद कुमार ने ऊंची कूद में रजत जीता. इसके बाद विनोद कुमार (Vinod Kumar) ने डिस्कस थ्रो में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया. भाविनाबेन ने महिलाओं की एकल टेबल टेनिस स्पर्धा क्लास 4 में और निषाद कुमार ने पुरूषों की टी47 ऊंची कूद स्पर्धा में रजत पदक जीते थे.