अमेरिकी खुफिया एजेंसी के चीफ ने की पीएम मोदी की जमकर तारीफ, जिनपिंग को बताया खतरा
नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को लेकर भारत के शांति प्रयासों का लोह अमेरिका ने भी माना है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुख विलियम जे बर्न्स ने प्रधानमंत्री मोदी की जमकर तरीफ की। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की विस्तारवादी नीत और महत्वाकांक्षा को भविष्य के लिए खतरा बताया है। बर्न्स ने कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर रूस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों का बड़ा असर पड़ा। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी कहा था कि यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के चलते परमाणु युद्ध का खतरा चरम पर पहुंच गया है। उन्होंने पुतिन की चेतावनी को गंभीरता से लिया था। बर्न्स पीबीएस को इंटरव्यू दे रहे थे। इस दौरान उनसे जब युक्रेन युद्ध को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग ने परमाणु हथियारों के उपयोग के बारे में अपनी चिंता जताई है जिसका प्रभाव रूस पर पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल युक्रेन के खिलाफ अभी तक किसी परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं दिखता है।
क्रेमलिन में रूसी मानवाधिकार परिषद की बैठक के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि वह अपनी जमीन को बचाने के लिए हर उपाय करेंगे। उन्होंने कहा था कि यह संघर्ष अभी लंबा चलने वाला है और उन्होंने परमाणु हथियारों भी चेतावनी दे डाली थी। उन्होंने कहा कि रूसी परमाणु शस्त्रागार उकसावे के नहीं बचाव के लिए उपयोगी हैं। उन्होंने इस बैठक में परमाणु हथियारों को लेकर कई बातें कहीं। कुछ दिन पहले उन्होंने यह भी कहा था कि रूस पर अगर कोई हमला करेगा तो वह अमेरिका वाली नीति अपना सकता है। उसने परमाणु युद्ध की खुली धमकी दी थी।
रूस और युक्रेन युद्ध के बीच शुरू से ही भारत शांति की और बातचीत के जरिए संघर्ष को रोकने की बात करता रहा है। समरकंद में एससीओ सम्मेलन के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से बात की थी औऱ कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं है। पुतिन ने भी कहा था कि युद्ध के बारे में भारत के स्टैंड की जानकारी उन्हें है। 16 दिसंबर को पुतिन ने फोन पर भी पीएम मोदी से बात की।
बर्न्स ने कहा कि हाल में पुतिन और जिनपिंग के बीच काफी दोस्ती नजर आई है। लेकिन इस दोस्ती में सीमा है क्योंकि चीन ने भी रूस को ज्यादा सैन्य सप्लाई से इनकार किया है। वहीं ताइवान के बारे में उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि वह 2027 तक युद्ध छेड़ सकते हैं। इसलिए इस दशक में आगे बढ़ते-बढ़ते संघर्ष बढ़ेगा। चीन की नीतियां खतरा साबित हो सकती हैं।