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देश में पहली बार कोविड-19 के XE वेरिएंट की पुष्टि

नई दिल्ली: महाराष्ट्र और गुजरात से 2 अपुष्ट मामले सामने आने के बाद, ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट XE के देश के पहले मामले की पुष्टि भारतीय SARS-CoV2 जीनोमिक्स सीक्वेंसिंग कंसोर्टियम द्वारा की गई है, जो सरकार द्वारा स्थापित राष्ट्रीय परीक्षण प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि XE सब-वेरिएंट का संक्रमण अन्य ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट के कारण होने वाले संक्रमण से अलग है।

फिलहाल विशेषज्ञों का कहना है कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि XE का असर अन्य ओमाइक्रोन सब-वेरिएंट से अलग होता है। नया सब-वेरिएंट ओमिक्रोन के वर्तमान में प्रमुख BA.2 वेरिएंट की तुलना में केवल 10 प्रतिशत अधिक तेजी से फैलने वाला पाया गया है। भारत में कोरोना की तीसरी लहर के पीछे BA.2 वेरिएंट की भूमिका मानी जाती है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने बताया, ‘देश में अभी तक बेहद कम रिकॉम्बिनेंट वेरिएंट के बारे में पता चला है। ये भी भौगोलिक रूप से अलग-अलग क्षेत्रों से आए हैं। ऐसे में किसी क्लस्टर फॉर्मेशन जैसी बात अभी तक नहीं देखी गई है।’

बहरहाल, XE सब वेरिएंट का केस कहां से मिला है, इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, दो राज्यों से पहले रिपोर्ट किए गए दो अपुष्ट मामलों में से महाराष्ट्र को लेकर बताया गया कि वह केस सब -वेरिएंट से संबंधित नहीं था।

INSACOG के साप्ताहिक बुलेटिन में XE की पुष्टि ऐसे समय में की गई है जब 12 राज्यों में कोविड के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। इसकी वजह से मास्क को अनिवार्य कर दिया गया है। इस बीच 25 अप्रैल तक के सरकारी आंकड़ों के अनुसार 19 अन्य राज्यों में भी मामलों में गिरावट भी आई है। INSACOG बुलेटिन में कहा गया है कि Omicron (BA.2) भारत में अभी प्रमुख रूप से सक्रिय है।

बता दें कि कोरोना के ओमीक्रोन वेरिएंट के सब-वेरिएंट XE में BA.1 के साथ-साथ BA.2 वेरिएंट में पाए जाने वाले म्यूटेशन हैं। इसके बारे में पहली बार ब्रिटेन में जनवरी में पता चला था। वायरस में आनुवंशिक उत्परिवर्तन एक सामान्य घटना है। इसके चलते वायरस के स्वरूप में छोटा बदलाव भी कई बार उसे संक्रमित करने या गंभीर रूप बीमार करने की नई क्षमता दे देता है।

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