1 अरब जानों पर संकट, पैर पसार रहा मधुमेह; क्यों बेहद अहम होंगे दो दशक
नई दिल्ली : वर्तमान में दुनियाभर में 50 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। अगले 30 साल में हर देश में मधुमेह पीड़ितों की संख्या में इजाफा होने का अंदेशा है जो दोगुनी होकर 1.3 अरब तक पहुंच सकती है। किसी भी देश में अगले 30 सालों में मधुमेह दर गिरने की भी उम्मीद नहीं है। ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित एक नए विश्लेषण में यह दावा किया गया है। यह शोध यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के स्कूल ऑफ मेडिसिन में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन (आईएचएमई) में मुख्य शोध विज्ञानी लियान ओंग ने किया है। उन्होंने कहा, जिस गति से मधुमेह के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है वह न केवल चिंताजनक है, बल्कि दुनिया में प्रत्येक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए चुनौतीपूर्ण भी है। मोटापे के बढ़ते स्तर और स्वास्थ्य असमानताओं के कारण मधुमेह बढ़ेगा। मधुमेह वैश्विक स्तर पर सभी बीमारियों को पीछे छोड़ रहा है। 2050 तक दुनिया की आबादी 9.8 अरब होगी, यानि हर 7 में से एक व्यक्ति को मधुमेह। मौतों की संख्या भी दोगुनी होगी और कम आय वाले देश सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
शोधकर्ता ने कहा कि लगभग सभी वैश्विक मामलों में 96 प्रतिशत मामले ‘टाइप 2’ मधुमेह (टी2डी) के हैं। ओंग ने ‘ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज’ (जीबीडी) 2021 अध्ययन का इस्तेमाल किया। उन्होंने 1990 एवं 2021 के बीच 204 देशों में उम्र एवं लिंग के आधार पर मधुमेह के प्रसार, रोगियों की संख्या और इससे मृत्यु का अध्ययन किया तथा 2050 तक मधुमेह की स्थिति का आकलन किया।
विश्लेषण के अनुसार, हालिया और सबसे अधिक व्यापक गणनाएं दिखाती हैं कि रोग की मौजूदा वैश्विक प्रसार दर 6.1 प्रतिशत है जो इसे मृत्यु एवं निशक्तता के 10 प्रमुख कारणों में से एक बनाती है। अध्ययन से यह पता चला है कि क्षेत्रीय स्तर पर यह दर उत्तर अमेरिका और पश्चिम एशिया में सबसे अधिक 9.3 प्रतिशत है जो 2050 तक बढ़कर 16.8 होने की संभावना है और लातिन अमेरिका एवं कैरेबियाई देशों में यह दर 11.3 प्रतिशत है।
शोध में पाया कि मधुमेह के लक्षण विशेष रूप से 65 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में पाए गए हैं और उक्त जनसांख्यिकीय के लिए 20 प्रतिशत से अधिक की वैश्विक प्रसार दर दर्ज की गई। क्षेत्रीय आधार पर उत्तर अफ्रीका और पश्चिम एशिया में इस आयु वर्ग में सर्वाधिक दर 39.4 प्रतिशत थी, जबकि मध्य यूरोप, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में यह सबसे कम 19.8 प्रतिशत थी। मधुमेह इस सदी की निर्णायक बीमारी होगी। अगले दो दशकों में स्वास्थ्य समुदाय मधुमेह से कैसे निपटता है, यह अगले 80 वर्षों के लिए जनसंख्या स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा को आकार देगा। दुनिया मधुमेह की सामाजिक प्रकृति को समझने में विफल रही है और इस बीमारी के वास्तविक पैमाने और खतरे को कम करके आंका है।
अगले दशक में वैश्विक टाइप 2 मधुमेह दवाओं के बाजार का अनुमान व्यापक रूप से भिन्न है, जिनमें से कुछ 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी अधिक तक पहुंच जाएंगे। कुल मिलाकर, वैश्विक मधुमेह से संबंधित स्वास्थ्य व्यय 2045 तक 1054 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। उदाहरण के लिए, यूरोपीय संघ के देशों ने 2018 में निवारक देखभाल पर स्वास्थ्य व्यय का औसतन 2·8% खर्च किया। हालांकि कोविड-19 ने इस बात पर पुनर्विचार करने का अवसर दिया कि स्वास्थ्य मंत्रालय अपना पैसा कैसे खर्च करते हैं। लेकिन सार्वजनिक स्वास्थ्य में कितना निवेश किया जाता है, इसके संदर्भ में बहुत कम बदलाव हुआ है।