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आसान नहीं था निर्देशक बंटी दुबे का छोटे शहर से मायानगरी तक का सफर

मुबंई: बंटी दुबे फिल्म जगत का एक ऐसा नाम हैं जिसने झारखंड के एक छोटे से जिले से निकलकर बॉलीवुड तक का सफर तय किया। बंटी दुबे आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। अपनी लगन और मेहनत से उन्होंने साबित किया कि अगर इंसान कुछ करने की ठान ले तो उसे अपनी मंजिल पाने से कोई नहीं रोक सकता। फिल्म निर्देशक बंटी दुबे से खास बातचीत की है। बंटी दुबे के छोटे शहर से मायानगरी तक के सफर पर एक नजर डालते हैं।

साल 1988 में झारखंड के मेदिनीनगर (पलामू) में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे बंटी दुबे को बचपन से ही फिल्में देखने का बड़ा शौक था। पढ़ाई-लिखाई के दौरान बंटी दुबे को एक दिन दिल्ली में रह रहे बड़े भाई पिंकू दुबे के पास जाने का मौका मिला। वहां उन्होंने अपने भाई को थियेटर्स में हिस्सा लेते हुए देखा, जिसे देखकर बंटी के मन में थिएटर के प्रति रुझान पैदा हुआ। इसके बाद बंटी अक्सर अपने भाई के पास दिल्ली जाने लगे और उनके साथ थियेटर में हिस्सा लेने लगे। इसके बाद उन्होंने अपने भाई की मदद से हिमाचल कल्चरल रिसर्च फोरम एंड थीएटर एकेडमी (एचसीआरएफटीए), मंडी हिमाचल प्रदेश में दाखिला लिया और यहां से प्रशिक्षण लेने के बाद बंटी ने रुख किया सपनो की नगरी मुंबई का। मुंबई जाकर खुद को स्थापित करना इतना आसान नहीं था जितना की बंटी ने सोचा था।

वह दिन रात खुद को स्थापित करने के लिए मेहनत कर रहे थे। उन्हें साल 2007 में सहारा वन के धारावाहिक ‘जर्सी नंबर 10’ में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करने का मौका मिला। यह धारावाहिक बंटी के लिए बंद किस्मत के दरवाजे खुलने जैसा था। इस धारावाहिक के बाद बंटी को असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर कई और धारावाहिकों में काम करने का मौका मिला। इसमें कैसी लागी लगन, रिलायंस एंटरटेनमेंट का शो हॉरर नाइट समेत कई सीरियल के साथ कई बड़े ब्रांड के विज्ञापनों और साउथ की कई फिल्में शामिल हैं।

इसी दौरान बंटी ने कई शॉर्ट फिल्मों का भी निर्देशन किया जिन्हें कई फिल्म फेस्टिवल में सराहा गया। इन शार्ट फिल्मों में द स्टोरी, चोर, क्वीट, हामिद, पजल आदि शामिल हैं। बंटी दुबे ने बताया कि उनके द्वारा निर्देशित शार्ट फिल्म क्वीट को कांस फिल्म फेस्टिवल में देखाया गया था। इसके बाद बंटी बॉलीवुड में ही एक फिल्म बनाने की तैयारी में लग गए और फिल्म ‘जैकलीन आई एम कमिंग’ का निर्देशन किया, जो साल 2019 में रिलीज हुई थी।

इस फिल्म में रघुवीर यादव और दीवा धनोया मुख्य भूमिका में थे। फिल्म ‘जैकलीन आई एम कमिंग’ एक 40 साल के अविवाहित हिंदू व्यक्ति काशी तिवारी (रघुबीर यादव) की कहानी है। काशी चर्च में जैकलीन (दीवा धनोया) से मिलता है और उसे जैकलीन से प्यार हो जाता है। दोनों शादी कर लेते हैं। इस फिल्म को समीक्षकों और दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया। मनीष गिरी इस फिल्म के निर्माता हैं। पिंकू दुबे इसके लेखक हैं। बंटी दुबे इन दिनों अपने होमटाउन मेदिनीनगर (पलामू) में हैं और अपने नए प्रोजेक्ट की तैयारी कर रहे हैं।

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