स्वास्थ्य

सुबह के समय व्‍यायाम करना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सबसे अधिक लाभदायक माना जाता है

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण के चलते अब सुबह के समय व्‍यायाम करना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए सबसे अधिक घातक बन चुका है. फोर्टिस एस्‍कार्ट्स हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार पल्‍यूशन इंडेक्‍स में सुबह और शाम के समय प्रदूषण का स्‍तर सबसे खतरनाक स्‍तर तक पहुंच जाता है. नतीजतन, इस दौरान खुली जगह पर व्‍यायाम करने वाले लोगों को कई तरह की बीमारियां अपना शिकार बना सकती हैं.

डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार, वर्तमान समय में प्रदूषण के चलते फेफड़े ही नहीं बल्कि शरीर के लगभग सभी अंग बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं. प्रदूषण के चलते इन दिनों गर्भपात के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है. इसके अलावा, समय से पहले बच्‍चों के जन्‍म की एक अहम वजह प्रदूषण भी है. प्रदूषण के चलते नवजात बच्‍चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी प्रभावित हो रहा है. जिसका नतीजा है कि बच्‍चों का इम्‍युनिटी सिस्‍टम बेहद कमजोर हो चुका है. वे तेजी से बार-बार बीमार हो रहे हैं. इसके अलावा, बच्‍चों का बौद्धिक विकास और आईक्‍यू भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.

डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार, हवा में मौजूद हानिकारण तत्‍व सबसे पहले शरीर का रेस्‍पेटरी सिस्‍टम प्रभावित होता है. हवा में मौजूद बेहद छोटे कण शरीर के अंतर पहुंचकर मस्‍तिष्‍क, हृदय, फेफड़े, किड़नी सहित दूसरे अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं. बच्‍चों और बुजुर्गों का इम्‍युनिटी सिस्‍टम कमजोर होने की वजह से प्रदूषण सबसे पहले उन्‍हें अपना शिकार बनाता है. प्रदूषण के चलते बच्‍चों और बुजुर्गों में अस्‍थमा के अटैक, ब्रोंकाइटिस (स्‍वांस नली में सूजन), हृदय से संबंधित बीमारी, किडनी नेप्रोपैथी, साइकोशोसल डिसार्डर, सहित कई बीमारियां सामान्‍य हो गई हैं.

डॉ. मनोज शर्मा के अनुसार, हमारे वातावरण में प्रदूषण इस स्‍तर तक पहुंच गया है कि व्‍यक्तिगत तौर पर उससे बचाव कर पाना अब संभव नहीं रह गया है. प्रदूषण को रोकने के लिए अब सरकार के स्‍तर पर ही कार्य हो सकता है. सरकार को चाहिए कि वह प्रदूषण को लेकर दीर्घकालिक योजनाएं बनाएं. इसके अलावा, प्रत्‍येक व्‍यक्ति को अपने स्‍तर पर कुछ कदम उठाने होंगे. सरकार और जनता के सामूहिक प्रयासों से ही अब प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है. उन्‍होंने बताया कि वर्तमान समय में दुनिया के सबसे प्रदूषिण शहरों में तेहरान और दिल्‍ली का नाम आता है. हमारे लिए टोक्‍यो और लंदन दो ऐसे उदाहरण हैं, जहां इंडस्‍ट्रलाइजेशन की वजह से प्रदूषण तेजी से बढ़ा, लेकिन सरकार की नीतियों और लोगों की जागरूकता की वजह से प्रदूषण पर नियंत्रण पर लिया गया है.

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