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पंजाब से गुजरात और हिमाचल प्रदेश साधेगी AAP! समझें कैसे विश्वास प्रस्ताव से देगी BJP को घाव

चंडीगढ़ : पंजाब विधान सभा के सत्र का आज अंतिम दिन आम आदमी पार्टी के लिए काफी अहम है। विधानसभा में आज विश्वास प्रस्ताव पर बहस और मतदान दोनों होना है। पंजाब के इतिहास में यह दूसरी बार है जब सरकार विश्वास प्रस्ताव पर बहस करेगी। इससे पहले दरबाना सिंह के नेतृत्व में पंजाब विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाया गया था। यहां हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि उस वक्त विश्वास प्रस्ताव का क्या परिणाम निकला था, इसके अलावा ये भी कि पंजाब में विश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराकर आम आदमी पार्टी गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव में अपने समीकरण कैसे साध रही है….

दरअसल, सीएम भगवंत मान ने भाजपा पर ऑपरेशन लोटस की साजिश रचने का आरोप लगाया और दावा किया कि उनकी पार्टी के विधायकों को खरीदने की कोशिश की गई। इसके बाद उन्होंने विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव रखने की बात कही। हालांकि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने इसपर अडंगा लगाया और कई कानूनी बाधाओं और संवैधानिक मुद्दों को उठाकर मान के प्रस्ताव पर ब्रेक लगा दिया। फिर किसी तरह हरी झंडी दिखी और किसी तरह आम आदमी पार्टी की सरकार 16वीं विधानसभा का सत्र बुलाने में सफल रही। बीती 27 सितंबर को मान सरकार ने सत्र में विश्वास प्रस्ताव पेश किया।

आज भगवंत मान की अध्यक्षता में सत्र के आखिरी दिन विश्वास प्रस्ताव पर बहस और मतदान होना है। इससे पहले सत्र की बात करें तो इसका अधिकांश वक्त हंगामे की भेंट चढ़ा। विपक्ष ने विशेष सत्र का विरोध किया। भाजपा के दो विधायक पहले दिन से ही सत्र का विरोध कर रहे हैं। स्पीकर कुलतार सिंह संधवान पिछले दो दिनों में कांग्रेस विधायकों के आचरण पर भी भड़क गए थे और उन्हें सोमवार को कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी थी। संधवान ने उम्मीद जताई कि सोमवार को होने वाली बहस में विधानसभा के सभी सदस्य भाग लेंगे और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने में अपना योगदान देंगे।

राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि आम आदमी पार्टी पंजाब में विधानसभा चुनाव कराकर हिमाचल और गुजरात में इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के समीकरण साध रही है। आप का मकसद कांग्रेस को पीछे कर हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनाव में खुद को भाजपा के मुकाबले में पेश करना है। इससे पहले आप उत्‍तराखंड, यूपी और गोवा में हुए चुनाव में ऐसा कर चुकी है। हालांकि इसमें वह सफल नहीं रही लेकिन, देखने वाली बात ये होगी कि इस बार आप की रणनीति कामयाब हो पाती है या नहीं?

इससे पहले अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार विक्टिम कार्ड खेल चुकी है। भाजपा पर ऑपरेशन लोटस का आरोप लगाते हुए दिल्ली में भी विश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था और पूर्व नियोजित घटनाक्रम के तहत केजरीवाल अपनी सरकार बचाने में कामयाब रहे थे।

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