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इस देश में आलू 200, मिर्च 700, बैंगन 160 रुपये किलो, दिवालिएपन की आहट से हाहाकार

कोलंबो: भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका में हाहाकार मचा हुआ है और हिंद महासागर में बसा ये देश कभी भी कंगाल हो सकता है। राजपक्षे परिवार की ‘गलत नीतियों’ और चीन से बेतहाशा कर्ज लेने के बाद भारत के इस पड़ोसी देश पर दिवालिएपन की तलवार लटक रही है और महंगाई ने हर रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। स्थिति ये है कि, सब्जियों की कीमत इतनी ज्यादा हो चुकी है, कि उसे खरीदना आम लोगों की औकात के बाहर की चीज हो गई है और देश का खजाना खाली हो चुका है।

आसमान पर सब्जियों के दाम
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि, श्रीलंका एक गहरे वित्तीय और मानवीय संकट का सामना कर रहाहै और देश 2022 में दिवालिया होने की तरफ जा सकता है। देश में मुद्रास्फीति रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचगई है और सब्जियों से लेकर दैनिक इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकेहैं। श्रीलंका की Advocata Institute ने देश में महंगाई को लेकर आंकड़े जारी किए हैं,जिससे पता चलता है कि, देश में किस कदर हाहाकार मचा हुआ है और खाद्यान्न संकट कितना गहरा होचुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, सब्जियों की कीमत में 200 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल आया है।

Advocata Institute के Bath Curry Indicator (BCI) श्रीलंका में खाद्य वस्तुओं और खुदरा वस्तुओं की कीमतों को लेकर रिपोर्ट जारी करता है और बीसीई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, पिछले 2 महीने में देश में महंगाई दर काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका में पिछले साल नवंबर में मिर्च की कीमत प्रति 100 ग्राम 18 रुपये था, जो अभी बढ़कर 71 रुपये प्रति 100 ग्राम हो चुका है। यानि, मिर्च की कीमत 710 रुपये प्रति किलो हो चुकी है। वहीं, पिछले एक महीने में 287 प्रतिशत की वृद्दि हुई है।

आसमान पर बैंगन और प्याज की कीमत
बीसीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका में बैंगन की कीमतों में 51 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और देश में बैंगन अब 160 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। जबकि, लाल प्याज की कीमत में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं आलू की कीमत बढ़कर 200 रुपये प्रति किलो से ऊपर जा पहुंचा है, जिससे श्रीलंका के लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। इसके साथ ही मिल्क पाउडर का आयात बंद होने से देश में मिल्क पाउडर की कमी हो चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका में बैंगन 160 रुपये किलो, भिंडी 200 रुपये किलो, बींस 320 रुपये किलो, बंदगोभी 240 रुपये किलो, गाजर 200 रुपये किलो, टमाटर 200 रुपये किलो और कच्चे केले की कीमत 120 रुपये हो गई है।

लोगों ने खाना किया कम
रिपोर्ट में श्रीलंका की बदहाल स्थिति के बारे में बताया गया है और कहा गया है कि, श्रीलंका में लोगों ने खाना कम कर दिया है और अब लोग तीन के बजाए सिर्फ 2 वक्त ही खाना खाते हैं। वहीं, खाद्यान्न संकट के बीच राजपक्षे सरकार पहले ही देश में आपातकाल लगा चुकी है और पिछले महीने एक अरब डॉलर का राहत पैकेज दिया गया है, बावजूद इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। श्रीलंका में खाने-पीने का सामान लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सेना को दी गई है, ताकि कालाबाजारी को रोका जाए। वहीं, श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार करीब करीब खाली हो चुका है, जिसने देश की स्थिति को काफी ज्यादा खराब कर रखा है। विश्व बैंक के मुताबिक, दिसंबर में खाने पीने की चीजों में महंगाई दर में 22.1 फीसदी का इजाफा हुआ है, जो एक खतरनाक स्तर है।

इतिहास का सबसे बड़ा संकट!
श्रीलंका की आबादी महज 2.2 करोड़ है, लेकिन भारत का ये पड़ोसी देश इतिहास के सबसे गंभीर मानवीय संकट का सामना कर रहा है और राजपक्षे परिवार की ‘गलत आर्थिक नीतियों’ और चीन की गोदी में खेलने की वजह से देश की आर्थिक स्थिति चौपट हो चुकी है। श्रीलंका ने करीब 5 अरब डॉलर का कर्ज चीन से लिया है और 3 दिन पहले श्रीलंका के राष्ट्रपति ने चीन से कर्ज में ‘छूट’ देने की अपील की थी, जिसे चीन ने खारिज कर दिया है, जिससे अब डर इस बात को लेकर है, कि चीन कहीं श्रीलंका के जमीन पर कब्जा करना ना शुरू कर दे। लिहाजा, भारत के लिए भी श्रीलंका संकट एक बड़ी चिंता की बात है। पिछले हफ्ते श्रीलंकन मीडिया ने दावा किया था कि, भारत सरकार ने श्रीलंका को एक अरब डॉलर की मदद दी है, लेकिन श्रीलंका का काम इतने भर से नहीं बनने वाला है, लिगाजा विश्लेषकों का मानना है कि, श्रीलंका अभी और भी जटिल स्थितियों में फंस सकता है।

गैस और दूध का भी संकट
श्रीलंका में किस कदर हाहाकार है, इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि, देश में गैस सिलेंडरों की कीमतों में 85 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि दूध की कीमत भी 300 रुपये लीटर से ज्यादा हो चुका है और श्रीलंका के गांवों में लोग 100-100 ग्राम दूध खरीद रहे हैं। दरअसल, श्रीलंका में सरकार की खराब नीतियों और चीन की गोदी में बैठने के अलावा कोविड महामारी का भी श्रीलंका पर काफी ज्यादा बुरा असर पड़ा है और देश का टूरिज्म सेक्टर धाराशाई हो चुका है। श्रीलंका की जीडीपी में टुरिज्म का काफी बड़ा योगदान है, लेकिन कोविड आने के साथ ही देश में पर्यटन उद्योग को काफी नुकसान पहुंचा है।

पर्यटन सेक्टर पर गंभीर असर
रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका में साल 2019 में पर्यटन उद्योग से 4 अरब डॉलर आए, लेकिन कोविड आने के बाद 90 फीसदी पर्यटन उद्योग धाराशाई हो गया है और देश का एक बड़ा तबका, जिसका पेट पर्यटन उद्योग से पलता था, उनके मुंह से निवाला छिन गया है।

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