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उत्तर प्रदेश में देश-विदेश में बसे लोग भी कर सकेंगे विकास में सहयोग

लखनऊ: देश और विदेशों में बसे लोग भी अब न केवल अपने गांवों के विकास में योगदान दे सकेंगे बल्कि विकास में अपने योगदान की स्मृति के रूप में शिलापट भी लगवा सकेंगे। राज्य सरकार ने इससे संबंधित उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना के प्रस्ताव को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी। योजना के तहत देश-विदेश में बसे जो लोग अपने गांव के विकास में योगदान देना चाहते है, लेकिन अब तक कोई योजना न होने के कारण उन्हें इसका अवसर नहीं मिल रहा था। प्रदेश सरकार ने ऐसे लोगों को उचित अवसर उपलब्ध कराने के लिए मातृ भूमि योजना शुरू की है।

इसमें गांव के विकास में इच्छुक व्यक्ति या संस्था को परियोजना की 60 प्रतिशत राशि वहन करनी होगी। शेष 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार की ओर से वहन की जाएगी। विकास में सहयोग करने वाले व्यक्ति या संस्था का शिलापट भी लगाया जाएगा। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए मातृ भूमि सोसायटी का गठन भी किया जाएगा। समिति के तहत एक अधिकृत शासी संस्था और कार्यकारी समिति भी गठित की जाएगी। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित होने वाली समिति में पंचायतीराज मंत्री को उपाध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। जबकि संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव को सदस्य, पंचायतीराज विभाग के एसीएस को सदस्य सचिव नियुक्त किया जाएगा।

कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में भी एक सशक्ति समिति गठित की जाएगी। इस समिति में संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव को सदस्य नियुक्त किया जाएगा और पंचायतीराज विभाग के निदेशक को सदस्य सचिव नियुक्त किया जाएगा। योजना के तहत दी जाने वाली 40 प्रतिशत राशि की व्यवस्था संबंधित विभाग के बजट से की जाएगी। मातृभूमि सोसायटी का पंजीकरण कराकर सौ करोड़ रुपये फंड उपलब्ध कराया जाएगा। इसका उपयोग किसी योजना में राज्यांश का बजट उपलब्ध नहीं होने पर किया जाएगा।

योजना के तहत दानदाता की पसंद की एजेंसी से कार्य कराया जा सकेगा। एजेंसी की ओर से तैयार नक्शे और डीपीआर को संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी की ओर से स्वीकृत किया जाएगा। कार्य पूरा होने के बाद एजेंसी को भुगतान किया जाएगा। दानदाता स्वयं के स्तर पर भी काम करा सकते है, लेकिन उन्हें डीपीआर स्वीकृत करानी होगी और सरकार की ओर से दिए जाने वाले 40 प्रतिशत अंशदान का भुगतान सीधा वेंडर्स को किया जाएगा। कोई भी सरकारी या प्राइवेट कंपनी 40 प्रतिशत राशि इन कार्यों के लिए दे सकती है। जिसे सरकारी अनुदान के रूप में माना जाएगा।
गन्ना मूल्य भुगतान के लिए बैंक ऋण की शासकीय गारंटी को हरी झंडी सत्र 2021-2022 में गन्ना किसानों को दिए जाने वाले भुगतान के लिए बैंकों से मिलने वाले ऋण की शासकीय गारंटी को सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन हरी झंडी दे दी है। इस निर्णय के बाद अब बैंक प्रदेश की सहकारी चीनी मिलों को ढाई हजार करोड़ रुपये का ऋण देंगे।

गन्ने का पेराई सत्र शुरू होने के बाद ही चीनी मिलों की ओर से किसानों को भुगतान शुरू किया जाता है। चूंकि मिलों के पास चीनी बिकने के बाद ही पैसा आता है तो इसके लिए एडवांस में धन की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसके लिए मिलों को उप्र सहकारी बैंक लि. एवं जिला सहकारी बैंकों से ऋण लेना पड़ता है। इस ऋण पर सरकार शासकीय गारंटी देती है। गन्ना आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि अब मिलों को ढाई हजार करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त हो जाएगा ताकि समय से किसानों के गन्ने का भुगतान शुरू हो सके।

गन्ना मूल्य वृद्घि को भी मंजूरी
पेराई सत्र 2021-2022 के लिए तय किए गए गन्ने के राज्य परामर्शित मूल्य (एसएपी) को भी कैबिनेट में मंजूर कर लिया गया है। प्रदेश सरकार ने इस सत्र के लिए गन्ने का दाम सामान्य प्रजाति के लिए 340 रुपये तथा अगेती प्रजाति के लिए 350 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है।

श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा का बढ़ेगा दायरा
सरकार ने उप्र सामाजिक सुरक्षा संहिता नियमावली 2021 को कैबिनेट बाईसर्कुलेशन के जरिए मंजूरी दे दी। इस नियमावली से अब श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ेगा। साथ ही योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदारियां भी तय होंगी।

अपर मुख्य सचिव श्रम सुरेश चंद्रा ने बताया कि भारत सरकार के सभी श्रम कानूनों को एकीकृत करचार अलग-अलग श्रम संहिताएं तैयार की गईं थीं। इनमें से एक संहिता सामाजिक सुरक्षा संहिता-2020 में कुल नौ कानून हैं। उत्तर प्रदेश के संबंध में इस संहिता पर नियम बनाते हुए उप्र सामाजिक सुरक्षा संहिता नियमावली 2021 तैयार की गई है। इसके मुताबिक अब असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के हितों के लिए नए सिरे से बोर्ड गठित किए जाएंगे।

कर्मचारी राज्य बीमा संबंधी विवादों के निस्तारण के लिए कर्मचारी बीमा न्यायालयों का गठन होगा। पांच साल की बजाय अब तीन साल तक लगातार काम करने वाले कामगार को गेच्युटी का लाभ मिल सकेगा। महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव के मामलों में ज्यादा विवाद सामने आते थे। ऐसे मामलों में महिलाएं क्षेत्रीय श्रम अधिकारी केयहां अपील कर सकती हैं। वहां के फैसले से अंसतुष्ट होने पर इसकी अपील क्षेत्रीय श्रमायुक्त से की जा सकेगी।

श्रमिकों की मृत्यु पर परिजनों के मुआवजा संबंधी प्रकरणों का निस्तारण अब छह माह में करना होगा। यदि ऐसा नहीं हो पाया तो प्रतिदिन तारीख लगाकर निस्तारण करने की बाध्यता होगी। इसके अलावा प्रत्येक प्रतिष्ठान, संस्थान को अपने यहां रिक्तियों की सूचना संबंधित जिले के सेवायोजन कार्यालय में देनी होगी। इसके अलावा कैरिअर सेंटर बनाए जाएंगे ताकि लोगों की काउंसिलिंग कर उनके कैरियर की राह प्रशस्त की जा सके।

गृह विभाग के पांच प्रस्तावों को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी
गृह विभाग के पांच प्रस्तावों को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए मंजूरी दे दी गई। कैबिनेट ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला तकनीकी अधिकारी सेवा नियमावली में प्रथम संशोधन को मंजूरी दी गई है। इससे विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक के पद पर प्रमोशन का रास्ता आसान हो जाएगा। इसमें नियमों को शिथिल किया गया है। इसी तरह पहले जहां 12 अनुभागों के माध्यम से वैज्ञानिक अधिकारी की भर्ती अलग-अलग होती थी उन अनुभागों को कम करके छह अनुभाग कर दिए गए हैं। यानी अब छह अनुभागों में ही वैज्ञानिक अधिकारियों की भर्ती की जाएगी।

इसके अलावा मेरठ में पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय की क्षमता को दोगुना किए जाने के लिए आवासीय भवनों के निर्माण कार्य और अमेठी जिले में पुलिस लाइन में आवासीय और अनावासीय भवनों के निर्माण कार्य को भी मंजूरी दी गई है। वीआईपी एवं वीवीआईपी की सुरक्षा के लिए कंडम घोषित हो चुकी 34 बुलेट प्रूफ एंबेसडर कार के स्थान पर 34 नई फार्च्यूनर कार की खरीद और उसे बुलेट प्रूफ कराए जाने की भी मंजूरी दी गई है। वहीं यूपी एटीएस, एसटीएफ और स्पॉट में नई गाड़ियों की खरीदने की मंजूरी कैबिनेट बाई सर्कुलेशन दी गई है।

63 हिंदू बंगाली परिवार का होगा पुनर्वास, 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से मेरठ आए थे बंगाली हिंदू परिवार
1970 में पूर्वी पाकिस्तान से मेरठ आकर बसे 63 बंगाली हिंदू परिवारों का कानपुर देहात की रसूलाबाद तहसील के भैंसाया गांव में पुनर्वासित किया जाएगा। परिवारों को कृषि के लिए दो एकड़ जमीन दी जाएगी और मकान बनाने के लिए 200 वर्गमीटर जमीन एक रुपये टोकन राशि पर आवंटित की जाएगी। राज्य सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन हिंदू बंगाली परिवारों के पुनर्वास के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

राजस्व विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक 1970 में पूर्वी पाकिस्तान से 63 हिंदू बंगाली परिवार मेरठ आकर बसे थे। उन्होंने मेरठ की मदन कॉटन मिल में काम किया, लेकिन पांच साल बाद मिल बंद होने के बाद से वे बेरोजगार हो गए। उसके बाद उन्हें किसी प्रकार का पुनर्वास पैकेज या राहत नहीं मिलने से परिवार सालों से पुनर्वास के लिए संघर्ष कर रहे थे।

सरकार ने बंगाली हिंदू परिवारों के लिए पुनर्वास पैकेज को मंजूरी दी है। पैकेज के तहत परिवार को 2 एकड़ कृषि भूमि और 200 वर्ग मीटर भूमि आवास के लिए आवंटित की जाएगी। प्रत्येक परिवार को मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत 1.20 लाख रुपये आवास बनाने के लिए भी दिए जाएंगे। पुनर्वास विभाग का दस साल पहले राजस्व विभाग में विलय होने के कारण बंगाली हिंदू परिवारों के पुनर्वास पैकेज को कैबिनेट से मंजूर कराया गया है।

भदोही में पीडब्ल्यूडी के गेस्ट हाउस बनने का रास्ता साफ
भदोही में लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस के लिए राजस्व विभाग की 57200 वर्ग फीट जमीन हस्तांतरित किए जाने संबंधी प्रस्ताव को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के माध्यम से हरी झंडी दे दी गई है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि विधानसभा क्षेत्र भदोही में गेस्ट हाउस के निर्माण के लिए तहसील ज्ञानपुर परिसर स्थित निष्प्रयोज्य भवनों और उससे सटी खाली जमीन की भूमि राजस्व विभाग से लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित किए जाने के लिए प्रस्ताव लाया गया था। इससे गेस्ट हाउस के निर्माण से भदोही में रुकने की बेहतर व्यवस्था होगी। इससे कार्पेट के कारोबार को भी चार चांद लगेंगे।
मुफ्त अनाज के साथ दाल, तेल व नमक भी
प्रदेश की 15 करोड़ जनता को होली तक गेहूं व चावल के साथ ही मुफ्त दाल, खाद्य तेल व नमक मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन इससे संबंधित प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। कोरोना महामारी केचलते शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना नवंबर में समाप्त हो रही है। इसमें सभी राशन कार्डधारकों को मुफ्त में राशन दिया जा रहा था।

ऐसे में मुख्यमंत्री योगी ने इस सुविधा को आगे बढ़ाने का फैसला लिया और खुद तीन नवंबर को अयोध्या में इसकी घोषणा की। इसके तहत दिसंबर से मार्च तक अंत्योदय कार्ड धारक को 35 किलो गेहूं व चावल तो मुफ्त मिलेगा ही। साथ में दाल, खाद्य तेल व नमक भी मुफ्त दिया जाएगा। पात्र गृहस्थी कार्डधारक को भी प्रतिव्यक्ति पांच किलो ग्राम गेहूं, चावल के साथ एक किग्रा अरहर की दाल, चना, एक लीटर खाद्य तेल, एक किग्रा नमक मुफ्त मिलेगा।

मृतक आश्रित के रूप में नियुक्ति के लिए विवाहित पुत्री भी पात्र
सरकारी विभागों में मृतक आश्रित के रूप में अब विवाहित पुत्रियों की नियुक्ति भी हो सकेगी। प्रदेश सरकार ने इसके लिए उत्तर प्रदेश सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती (बारहवां संशोधन) नियमावली 2021 को जारी करने की मंजूरी दे दी है। कैबिनेट बाई सर्कुलेशन से संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

अभी तक मृतक आश्रित के रूप में अनुकंपा नियुक्ति के लिए पुत्र व अविवाहित पुत्री ही पात्र माने जाते थे। काफी समय से विवाहित पुत्रियों को भी इसके दायरे में लाने की मांग की जा रही थी। अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सेवाकाल में मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की भर्ती नियमावली में संशोधन करके विवाहित पुत्री को भी मृतक आश्रित के रूप में अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र कर दिया गया है।

वकीलों को अधिवक्ता कल्याण निधि से मिलेगी पांच लाख रुपये की मदद
प्रदेश में 30 वर्ष की प्रैक्टिस कर चुके वकीलों को अधिवक्ता कल्याण निधि से पांच लाख रुपये तक की आर्थिक मदद दी जाएगी। इस बाबत राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम (संशोधन) अध्यादेश 2021 को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी। प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के अनुसार सरकार ने 2017 विधानसभा चुनाव के संकल्प पत्र में किए गए वादे के अनुसार अधिवक्ता कल्याण निधि को 1.50 लाख से बढ़ाकर पांच लाख किया है।

अधिवक्ता कल्याण निधि न्यासी समिति में पंजीकृत अधिवक्ताओं में से 30 वर्ष की प्रैक्टिस पूरी कर चुके लगभग 5,848 अधिवक्ताओं को पांच लाख की एकमुश्त सहायता राशि दी जाएगी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य विधान मंडल का सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के कारण मंत्रिपरिषद ने प्रस्तावित संशोधनों को अध्यादेश के माध्यम से लागू कराने का निर्णय किया है।

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