दस्तक-विशेष

पीएम मोदी के सपनों के अनुरूप संवर रहा केदारनाथ

गोपाल सिंह पोखरिया, देहरादून

केदारनाथ आपदा के 11 साल बाद उत्तराखंड की धामी सरकार ने केदारपुरी ही नहीं बल्कि चारधाम यात्रा का भी स्वरूप बदल दिया है। आज यही कारण है कि चारधाम में सबसे अधिक केदारनाथ धाम का ही क्रेज बना हुआ है। केदारनाथ आपदा को 11 वर्ष बीत चुके हैं। वर्ष 2013 में 16-17 जून को आए सैलाब में केदारपुरी पूरी तरह तबाह हो गई थी। गौरीकुंड से केदारनाथ धाम को जोड़ने वाले पैदल मार्ग का अस्तित्व खत्म हो गया था। तबाही को देखकर यह उम्मीद कर पाना मुश्किल था कि भविष्य में धाम के लिए यात्रा शुरू हो भी पाएगी या नहीं। लेकिन, रामबाड़ा से दायीं ओर की पहाड़ी पर नया पैदल मार्ग बनने के बाद धीरे-धीरे यात्रा व्यवस्थित होने लगी। फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुए पुनर्निर्माण कार्यों ने केदारपुरी की तस्वीर ही बदल डाली। वर्तमान में यात्री सुविधाओं से संपन्न जो दिव्य एवं भव्य केदारपुरी नजर आती है, उसने चारधाम यात्रा के स्वरूप को ही बदल डाला है। चारधाम यात्रा के इतिहास में वर्ष 2022 तक जहां बदरीनाथ धाम ही सर्वाधिक तीर्थयात्री पहुंचते रहे हैं, वहीं वर्ष 2023 से बदरीनाथ धाम से कहीं ज्यादा तीर्थयात्री केदारनाथ धाम पहुंचने लगे हैं। मास्टर प्लान के तहत नए स्वरूप में तैयार हो रही केदारपुरी में पुनर्निर्माण कार्यों ने नए आयाम स्थापित किए हैं। अब तक लगभग 400 करोड़ रुपये के कार्य केदारपुरी में पूर्ण हो चुके हैं और 150 करोड़ रुपये के संपादित होने बाकी हैं। प्रथम चरण के सभी कार्य पूरे हो गए हैं, जबकि द्वितीय चरण के 40 प्रतिशत कार्य अभी शेष हैं।

आपदा के समय मंदाकिनी व सरस्वती नदी का रुख मंदिर की ओर हो गया, जो तबाही का कारण बना। इसी के मद्देनजर मंदिर के ठीक पीछे 390 मीटर लंबी, 18 फीट ऊंची और दो फीट चौड़ी कंक्रीट की त्रिस्तरीय दीवार बनाई गई, जिससे केदारपुरी काफी हद तक सुरक्षित हो गई है। मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर भी सुरक्षा दीवार बनाई गई है, जिससे नदियों से होने वाला कटाव रुक गया है। आपदा के समय गौरीकुंड हाईवे रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक कई जगह पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। अब इस हाईवे को आलवेदर रोड के तहत बनाया जा रहा है, जिसका 80 प्रतिशत कार्य हो चुका है। केदारपुरी में तीर्थ पुरोहितों के लिए 210 भवनों का निर्माण कराया गया है। जबकि, तीर्थ यात्रियों के लिए शानदार काटेज बने हैं। आपदा के बाद बनाए गए नए पैदल मार्ग पर लिनचोली, छोटी लिनचोली व रुद्रा प्वांइट समेत कई छोटे बाजार विकसित किए गए हैं। इन पड़ावों पर तीर्थयात्रियों के लिए खाने-ठहरने की व्यवस्था भी है। साथ ही केदारनाथ पैदल मार्ग भी पहले के मुकाबले काफी अच्छा और सुरक्षित भी हो गया है। पूरे मार्ग पर र्रेंलग लगाई गई है और मार्ग भी तीन से चार मीटर तक चौड़ा है। आज चारधाम यात्रा हर साल नये कीर्तिमान बना रही है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय कहते हैं कि केदारनाथ धाम में तीर्थ यात्रियों की संख्या में साल-दर-साल बढ़ोतरी हो रही है। तीर्थ यात्रियों के खाने-ठहरने व स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उम्मीद है कि इस वर्ष तीर्थयात्रियों की संख्या नए कीर्तिमान स्थापित करेगी। इसके लिए सरकार का भी आभार जताना चाहता हूं।

500 करोड़ के हो रहे पुनर्निर्माण कार्य, ध्यान गुफा भी आकर्षण का केंद्र

केदारपुरी में लगभग 500 करोड़ रुपये के पुनर्निर्माण कार्य हो रहे हैं। इसमें से 400 करोड़ रुपये के कार्य हो चुके हैं। प्रथम चरण में 125 करोड़ के निर्माण कार्य हुए। द्वितीय चरण में 200 करोड़ रुपये के कार्य समाप्ति की ओर हैं। तीसरे चरण के कार्य भी शुरू हो चुके हैं, जिनकी लागत लगभग 175 करोड़ रुपये है। अब तक 50 प्रतिशत कार्य हो चुके हैं। केदारपुरी की पहाड़ी पर दुग्ध गंगा नदी से गरुड़चट्टी तक तीन ध्यान गुफा बनाई गई हैं। वर्ष 2018 में यहां सबसे पहले रुद्रगुफा का निर्माण किया गया था। इनके संचालन की जिम्मेदारी गढ़वाल मंडल विकास निगम की है। प्रत्येक गुफा में बिजली, पानी व शौचालय की व्यवस्था की गई है। दो मीटर लंबी व तीन मीटर चौड़ी इन तीन गुफाओं के निर्माण पर 27 लाख रुपये की लागत आई। प्रत्येक गुफा में एक-एक व्यक्ति एक वक्त में ध्यान कर सकता है। वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रुद्रगुफा में ध्यान लगाया था। इस गुफा की 30 जून तक के लिए बुकिंग फुल है।

गरुड़चट्टी दोबारा हुई आबाद
केदारनाथ आपदा में पुराने पैदल मार्ग के ध्वस्त होने के बाद गरुड़चट्टी पूरी तरह अलग-थलग पड़ गई थी। आपदा के बाद प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत मंदाकिनी नदी पर पुल बनाकर केदारनाथ धाम से गरुड़चट्टी को जोड़ दिया गया। हालांकि, अभी इसे रामबाड़ा से नहीं जोड़ा जा सका है। रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पैदल मार्ग बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया है। वर्तमान में बड़ी संख्या में साधु-संत गरुड़चट्टी में रह रहे हैं। यहां प्राकृतिक गुफा भी है।

केदारपुरी को संवारने में वायु सेना की भी अहम भूमिका
केदारपुरी में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों में वायुसेना की भी अहम भूमिका रही है। वायुसेना के एमआइ-27 और चिनूक हेलीकाप्टर से अब तक 850 टन से अधिक निर्माण सामग्री केदारपुरी पहुंचाई जा चुकी है। इसमें डंफर, पोकलैंड मशीन व जेसीबी समेत भारी निर्माण सामग्री शामिल है। शुरुआत में एमआइ-27 हेलीकाप्टर से भारी निर्माण सामग्री पहुंचाई गई और वर्तमान में चिनूक हेलीकाप्टर से पहुंचाई जा रही है। हाल ही में दो थार एसयूवी भी केदारपुरी पहुंचाई गई हैं, जो डिजास्टर के साथ ही बुजुर्ग तीर्थयात्रियों को हेलीपैड से केदारनाथ मंदिर और बीमार तीर्थयात्रियों को अस्पताल तक पहुंचाने का कार्य करेंगी।

10 हजार तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था
आपदा के बाद केदारपुरी में तीर्थ यात्रियों के ठहरने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। वर्तमान में वहां दस हजार से अधिक तीर्थयात्री एक साथ ठहर सकते हैं। इसके अलावा लिनचोली व भीमबली में भी तीन हजार तीर्थ यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है। इसके लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम और प्रशासन की अनुमति पर स्थानीय युवाओं ने भी टेंट कालोनी बनाई हुई है।

आपदा के बाद उत्तराखंड में बढ़ा हेली सेवा का क्रेज
आपदा के बाद केदारनाथ के लिए हेली सेवा का क्रेज लगातार बढ़ा है। केदारघाटी के नौ हेलीपैड से नौ एविएशन कंपनी हेली सेवा का संचालन कर रही हैं, जिनसे कुल तीर्थयात्रियों का दस प्रतिशत केदारनाथ धाम पहुंच रहे हैं। 10 मई को धाम के कपाट खुलने के बाद से अब तक 45,635 तीर्थयात्री हेली सेवा से केदारनाथ पहुंचे हैं। इससे पूर्व वर्ष 2023 में 1.53 लाख और वर्ष 2022 में 1.40 लाख तीर्थयात्री हेली सेवा से दर्शन को पहुंचे थे।

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