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देश के कुल सूचीबद्ध शेयरों में से चार फीसदी शेयर हैं एलआईसी के पास

नयी दिल्ली । भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के पास देश के कुल सूचीबद्ध शेयरों में से चार फीसदी शेयर हैं और साथ ही उसके पास भारतीय रिजर्व बैंक से भी अधिक सरकारी बांड हैं। जीईपीएल कैपिटल की एलआईसी आईपीओ से संबंधी रिपोर्ट के अनुसार, एलआईसी 39 लाख करोड़ रुपये के एसेट का प्रबंधन करती है। एलआईसी इन पैसों का निवेश शेयर बाजार और बांड खरीदने में करती है।

जीईपीएल की रिपोर्ट के अनुसार, एलआईसी के पास नयी पॉलिसी से संबंधित अच्छी नीति नहीं है जिसके कारण निजी बीमा कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसा खासकर शहरी क्षेत्रों में अधिक हो रहा है। इसके अलावा बीमा सह निवेश उत्पादों में मार्जिन कम है। एलआईसी का मॉडल अन्य कंपनियों से अलग है इसी कारण इसका मूल्यांकन करना बहुत ही कठिन है।

एलआईसी बीमित व्यक्ति से बीमा के पैसे लेती है और वह उसे बाद में लौटाने के लिये कहती है। एलआईसी, जो प्रीमियम जमा करती है उसे राजस्व नहीं कहा जा सकता है। एलआईसी की एम्बेडेड वैल्यू 5,39,686 करोड़ रुपये है और आईपीओ इश्यू के बाद बाजार पूंजीकरण 6,00,242 करोड़ रुपये है, जो इसके ईवी से 11.2 प्रतिशत प्रीमियम पर है।

इसका बाजार पूंजीकरण और ईवी अनुपात अन्य बीमा कंपनियों की तुलना में डेढ़ से दोगुना है इसी कारण हमारा मानना है कि इतने बड़े आकार वाले एलआईसी की वैल्यूएशन सही है। आंकडों के अनुसार, एलआईसी का कारोबारी मॉडल मुख्यत: एजेंट आधारित है। इस कारण इसे विकास को गति देने के लिये डिजिटल ऑन बोर्डिग को बढ़ावा देना होगा।

हालांकि, तीन हजार करोड़ रुपये के कर पश्चात लाभ पर छह लाख करोड़ रुपये का बाजार पूंजीकरण इसके पीई अनुपात यानी मूल्य-आय अनुपात को 200 गुना बनाता है। इस पीई अनुपात की तुलना अन्य निजी बीमा कं पनियों से नहीं की जा सकती है क्योंकि एलआईसी की वितरण नीति अब बदलत गई है और भविष्य में शेयरधारक के खातों में आवंटन अधिक होने वाला है इसी कारण से आय में कमी आयेगी।

जीईपीएल ने कहा है कि अपने व्यापक नेटवर्क और अपेक्षित दोहरे अंकों की वृद्धि के साथ अन्य बीमा कंपनियों की तुलना में आकर्षक मूल्यांकन ने एलआईसी आईपीओ को एक आकर्षक निवेश बनाता है।

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