ज्ञान भंडार

इस माला से जाप करने पर प्रसन्न होती हैं मां लक्ष्मी, कर देती हैं मालामाल

नई दिल्ली : मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है. आज के समय में हर कोई धनवान बनना चाहता है, इसलिए माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का मार्ग ढूंढता रहता है. हिंदू धर्म में हर देवी देवता की पूजा का अलग तरीका, उनके विशेष मंत्र आदि के बारे में बताया गया है. मंत्रों के जाप से मन एकाग्र और स्थिर होता है और एकाग्र मन से ही साधना करना संभव हो पाता है.

किसी भी देवी या देवता को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्रों का जाप सही माला ​से किया जाना जरूरी है. अगर आपकी कुंडली में शुक्र कमजोर है और आप जीवन में आर्थिक संकट झेल रहे हैं, तो आपको माता लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए और उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए. यदि मां लक्ष्मी प्रसन्न हो गईं तो जीवन में धन, धान्य, सुख, समृद्धि, तरक्की, प्रेम आदि किसी चीज की कमी नहीं होती.

आर्थिक स्थिति को मजबूत करने, शुक्र की मजबूती और माता लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप स्फटिक की माला से करना चाहिए. स्फटिक एक रंगहीन, पारदर्शी पत्थर होता है. इसे शुद्ध क्रिस्टल या व्हाइट क्रिस्टल कहा जाता है. ये कांच की तरह नजर आता है. स्फटिक बर्फीले पहाड़ों पर बर्फ के नीचे टुकड़ों के रूप में पाया जाता है. स्फटिक की माला से मां दुर्गा और मां सरस्वती के मंत्रों का भी जाप किया जा सकता है.

जाप का पूर्ण लाभ लेने के लिए इसका सही तरीका मालूम होना जरूरी है. किसी भी मंत्र के जाप के दौरान जमीन पर शुद्ध ऊनी आसन बिछाएं और खुद पद्मासन या सुखासन में बैठें. माला को इस्तेमाल करने से पहले उसे शुद्ध जल से धोएं और तिलक जरूर लगाएं. माला को दाएं हाथ में लें और पूर्व दिशा में मुंह करें. इसके बाद मध्यमा उंगली पर माला रखकर अंगूठे से एक एक मनका आगे बढ़ाते हुए जाप करें. इस दौरान नाखून मनके पर स्पर्श नहीं होना चाहिए. इसके अलावा माला को पकड़ते समय उसे नाभि से नीचे न रखें और नाक के ऊपर न रखें. माला को सीने से करीब 4 अंगुल दूर होना चाहिए. एक माला पूरी होने के बाद वहीं से वापस लौटकर अगली माला का जाप शुरू करें. माला के ऊपर के मोती, जिसे सुमेरू कहा जाता है, उसको क्रॉस नहीं किया जाना चाहिए. इसके अलावा माला की संख्या निर्धारित होनी चाहिए और जाप को संकल्प के साथ करना चाहिए. तभी आपको उसका फल प्राप्त हो सकता है.

इन मंत्रों का करें जाप
– ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

– ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्

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