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महालक्ष्मी व्रत? धन वैभव की प्राप्ति के लिए जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

नई दिल्ली : हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ हो जाते हैं और अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलते हैं। धन की देवी लक्ष्मी को समर्पित ये व्रत 16 दिन के होते हैं। इस साल ये व्रत 4 सितंबर 2022 से शुरू होंगे और 17 सितंबर को समाप्त होंगे। महालक्ष्मी व्रत मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए विधि अनुसार किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान किए गए व्रत, पूजा और उपाय बहुत जल्दी असर दिखाते हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से जातक को बेशुमार धन-दौलत मिलती है। मान्यता है कि व्रत का फल जातक को तभी प्राप्त होता है जब वह व्रत में गज लक्ष्मी व्रत कथा को सुनता है।

गज लक्ष्मी व्रत कथा इस प्रकार है..

महालक्ष्मी पूर्ण तिथि- 17 सितंबर 2022

महालक्ष्मी व्रत 2022 का महत्व

हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का काफी अधिक महत्व है। इन 16 दिनों में मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने का विधान है। इस पवित्र व्रत की महिमा भगवान श्रीकृष्ण ने पांडव भाइयों में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को बताई थी। इस महालक्ष्मी व्रत की महानता ‘भविष्य पुराण’ जैसे धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित है।

महालक्ष्मी व्रत पूजन सामग्री

एक थाली में रोली, गुलाल, अबीर, अक्षत, कलावा, मेहंदी, हल्दी, टीकी, लौंग, इलायची, बादाम, पान, सुपारी, बिछिया, वस्त्र, फूल, दूब, अगरबत्ती, कपूर, इत्र, मौसम का फल-फूल, पंचामृत, मावे का प्रसाद, सोलह श्रृंगार आदि रख लें।

महालक्ष्मी व्रत 2022 का पूजन विधि

– इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
– अब एक चौकी में महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
– स्थापना के बाद पंचामृत से स्नान कराएं।
– इसके बाद सिंदूर, कुमकुम आदि लगाएं।
– फूल, माला के साथ सोलह श्रृंगार चढ़ाएं।
– एक पान में लौंग, बताशा, 1 रुपए, छोटी इलायची रखकर चढ़ा दें।
– भोग में मिठाई आदि चढ़ा दें।
– इसके बाद जल अर्पित करके धूप और दीपक जला लें।
– अब महालक्ष्मी व्रत कथा का पाठ करें।
– अंत में विधिवत आरती कर लें।

महालक्ष्मी व्रत कथा

एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह नियमित रूप से जगत के पालनहार विष्णु भगवान की आराधना करता था। उसकी पूजा-भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भगवान श्री विष्णु ने दर्शन दिए और ब्राह्मण से वर मांगने के लिए कहा। तब ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में होने की इच्छा जाहिर की। तब भगवान विष्णु ने लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग बताया। उन्होंने बताया कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है, जो यहां आकर उपले थापती है, तुम उसे अपने घर आने का निमंत्रण देना। वही देवी लक्ष्मी हैं।
विष्णु जी ने ब्राह्मण से कहा, जब धन की देवी मां लक्ष्मी के तुम्हारे घर पधारेंगी तो तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जायेगा। यह कहकर श्री विष्णु जी चले गए। अगले दिन वह सुबह ही वह मंदिर के सामने बैठ गया। लक्ष्मी जी उपले थापने के लिये आईं तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया। ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गईं, कि यह सब विष्णु जी के कहने से हुआ है।
लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा कि मैं चलूंगी तुम्हारे घर लेकिन इसके लिए पहले तुम्हें महालक्ष्मी व्रत करना होगा। 16 दिनों तक व्रत करने और 16वें दिन रात्रि को चंद्रमा को अर्घ्य देने से तुम्हारा मनोरथ पूरा होगा। ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजन किया और देवी को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारा। इसके बाद देवी लक्ष्मी ने अपना वचन पूरा किया। मान्यता है कि उसी दिन से इस व्रत की परंपरा शुरू हुई थी।

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