मुशर्रफ भारत के खिलाफ हमेशा रचते रहे साजिश, कारगिल की हार से बौखलाकर किया तख्तापलट
इस्लामाबाद : लाइलाज बीमारी एमिलॉयडोसिस से दम तोड़ने वाले पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह और पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ भारत (India) के खिलाफ हमेशा साजिश ही रचते रहे। दोस्ती का हाथ बढ़ाकर दुनिया को संदेश देने की चाल चली तो पीठ पीछे भारत के खिलाफ संसद से लेकर मुंबई हमले तक के गुनहगारों को संरक्षण देते रहे।
यही नहीं, कारगिल युद्ध में भारत से मिली करारी हार का ठीकरा तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर फोड़ते हुए 1999 में तख्तापलट किया और पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह बन गए थे। इसके बाद 2008 तक राष्ट्रपति के तौर पर पाकिस्तान में सत्ता पर काबिज रहे। कारगिल के वक्त मुशर्रफ पाकिस्तानी सेना के प्रमुख थे। कारगिल के खलनायक मुशर्रफ को 2019 में पाकिस्तानी अदालत ने देशद्रोही करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी। तभी से वे दुबई में निर्वासित जीवन जी रहे थे। हालांकि, उन्हें दफन पाकिस्तान में ही किया जाएगा।
मुशर्रफ ने तीन नवंबर, 2007 को पाकिस्तान में आपातकाल लगाया। अगस्त 2008 में दो दलों ने उनके खिलाफ महाभियोग की सहमति दी, जिसके बाद वह इस्तीफा देकर ब्रिटेन चले गए। 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके लगाए आपातकाल को असांविधानिक बताया। 2013 में मुशर्रफ लौटे, लेकिन बीमारी की वजह से अस्पताल में भर्ती हो गए। दो साल बाद उन्हें विदेश में इलाज की अनुमति मिली। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मुशर्रफ को देशद्रोही करार देते हुए मौत की सजा सुनाई।
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुशर्रफ के परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए कहा, खुदा उनके गुनाहों को माफ अता फरमाए।
मुशर्रफ का जन्म, 11 अगस्त 1943 को दिल्ली में हुआ था। पुरानी दिल्ली में उनकी बड़ी कोठी थी। 1947 में उनका परिवार कराची चला गया था। 1964 में वे पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए। 1998 में नवाज शरीफ ने उन्हें सेना प्रमुख बनाया। उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बहुचर्चित लाहौर बस यात्रा संपन्न हुई थी। उस दौरान जब वाजपेयी मीनार-ए-पाकिस्तान की सीढ़ियों से कह रहे थे कि स्थिर और खुशहाल पाकिस्तान भारत के हित में है, उसी वक्त मुशर्रफ कारगिल हमले की साजिश रच रहे थे।
मुशर्रफ ने पाकिस्तान में तमाम आतंकी संगठनों को संरक्षण दिया। भारत के खिलाफ संसद से लेकर मुंबई हमले तक अहम भूमिका निभाई। अमेरिका ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर अल-कायदा और तालिबान के खिलाफ अमेरिकी प्रयासों को निष्फल करने की कोशिश की तो अमेरिका पाकिस्तान को पाषाण युग में पहुंचा देगा, जबकि मुशर्रफ ने पाकिस्तान को अमेरिका का प्रमुख सहयोगी बताया था। दूसरी तरफ, ओसामा बिन लादेन को हीरो और तालिबान को भाई बताने वाले मुशर्रफ पाकिस्तान में जिहादी आतंक को आश्रय देकर पूरी दुनिया से धोखेबाजी की।