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सुप्रीम कोर्ट की घर खरीदारों की याचिका पर दो-टूक, कहा- आदर्श बिल्डर-बायर समझौता बेहद जरूरी

नई दिल्ली: बिल्डरों के लुभावने दावों में फंसकर अपना सबकुछ गंवा देने वाले घर खरीदारों के लिए एक अच्छी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र में एक आदर्श बिल्डर-बायर समझौता आवश्यक है। इसे जनहित में महत्वपूर्ण मामला बताते हुए शीर्ष अदालत ने सरकार से इस पर जवाब भी मांगा है। कुछ घर खरीदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने एडिशनल सालिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि वह सरकार से निर्देश लेकर 22 नवंबर तक इस पर जवाब दाखिल करें।

पीठ ने नटराज से कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण मामला है न कि प्रतिकूल मुद्दा। यह जनहित में एक अहम मामला है। सरकार के पास रेरा के तहत आदर्श बिल्डर-बायर समझौते करने का अधिकार है। कृपया इस पर गौर करें और 22 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करें। इस तरह के आदर्श समझौते की मांग को लेकर घर खरीदारों का एक समूह इस अदालत में आया है।’ पीठ ने याचिकाकर्ता वकील अश्विनी उपाध्याय से इस मुद्दे पर एक संक्षिप्त नोट तैयार करने और याचिका के साथ उसे कानून अधिकारी के साथ साझा करने को कहा है।

शीर्ष अदालत ने चार अक्टूबर को कहा था कि देश में उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए रियल एस्टेट क्षेत्र में एक आदर्श बिल्डर-बायर समझौते का होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि बिल्डर इनमें कई तरह के क्लाज डालने की कोशिश करते हैं जिनके बारे में आम लोगों को जानकारी नहीं हो सकती है। उल्‍लेखनीय है कि हाल ही में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग ने बेंगलुरु स्थित एक रियल एस्टेट कंपनी को अपने ग्राहकों को उनकी पूरी जमा राशि ब्याज समेत लौटाने का निर्देश दिया था। इस मामले में डेवलपर पर आरोप था कि उसने ग्राहकों को जिन विला का पजेशन दिया उनका निर्माण पूरा ही नहीं हुआ था। आयोग ने आदेश दिया था कि डेवलपर शिकायतकर्ता को उसकी पूरी जमा रकम नौ फीसद ब्याज के साथ लौटाए।

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