LOC पर झट से पहुंचेंगे हमारे सैनिक, अरुणाचल में 1748 किमी लंबा बनेगा फ्रंटियर हाइवे, पलायन रोकने में भी होगा कारगर
नई दिल्ली : लंबे वक्त तक सीमाई इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं बनाने की रणनीति ने देश का बहुत नुकसान पहुंचाया। चीन के अतिक्रमणकारी प्रवृत्ति को देखते हुए भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के इलाकों से शेष भारत की कनेक्टिविटी को तवज्जो नहीं दिया जाना भयंकर भूल साबित हो रही है। इसी भूल सुधार के लिए मौजूदा केंद्र सरकार ने बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बहुत तेजी से काम कर रही है। अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के पास सड़कों का जाल बिछाने के लिए मोदी सरकार एक पंचवर्षीय योजना पर विचार कर रही है। इस योजना के तहत 1,748 किमी लंबी दो लेन सड़क बनाई जाएगी। सीमा के 20 किमी सामानंतर पर बिछने वाली सड़क को ‘फ्रंटियर हाइवे’ के रूप में विकसित किया जाएगा। इस फ्रंटियर हाइवे का विस्तार तिब्बत-चीन-म्यांमार बॉर्डर तक होगा।
एनएच 913 के रूप में यह फ्रंटियर हाइवे कई मायनों में फायदेमंद साबित होगा। इससे एक तरफ आपातकालीन परिस्थिति में सैनिकों और सैन्य साजो-सामान को बहुत जल्द सीमा पर पहुंचाया जा सकेगा तो दूसरी तरफ सीमाई इलाकों से लोगों का पलायन भी रुकेगा। यह हाइवे बॉमडिला से शुरू होकर नाफ्रा, हुरी और मोनिगोंग से गुजरेगी। मोनिगोंग भारत-तिब्बत सीमा का सबसे निकटतम इलाका है। एनएच 913 जिदो और चेन्क्वेंती से भी गुजरेगा जो चीन बॉर्डर से सबसे करीब के इलाके हैं। फ्रंटियर हाइवे भारत-म्यांमार सीमा पर विजयनगर में खत्म हो जाएगा।
1,748 किमी लंबे पूरे फ्रंटियर हाइवे को नौ पेकेज में बांटा गया है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि इस प्रॉजेक्ट पर करीब 27 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। हालांकि, सरकार यह लागत घटाने की संभावानाएं तलाश रही है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘करीब 800 किमी का गलियारा हरित क्षेत्र होगा क्योंकि इतनी दूरी में कोई अन्य सड़क नहीं है। इस गलियारे में कुछ पुल और सुरंग भी होंगे। हमने 2024-25 में प्रॉजेक्ट से जुड़े सभी कार्यों की स्वीकृति की योजना बना रखी है। निर्माण कार्य पूरा होने में करीब दो वर्षों का समय लगेगा। हम जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे, अलग-अलग पैकेज पूरा होते रहेंगे। हालांकि, पूरा प्रॉजेक्ट 2026-17 में पूरा होने की उम्मीद है।’
बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर शक्ति प्राप्त समिति ने 2016 में पहली बार इस प्रॉजेक्ट की सिफारिश सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से की थी। जुलाई 2018 में गृह मंत्रालय ने निर्धारित इलाकों में कनेक्टिविटी मुहैया कारने को लेकर कुछ इनपुट्स दिए थे। अधिकारियों ने कहा कि सिफारिश को स्वीकार करने बाद सरकार ने नवंबर महीने में पूरे कॉरिडोर को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में नोटिफाई कर दिया। एक सूत्र ने बताया, ‘कोई सड़क अगर राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में अधिसूचित हो जाए तो उसे बनाने की जिम्मेदारी सड़क परिवहन मंत्रालय पर आ जाती है। फ्रंटियर हाइवे से अलग-अलग जगहों पर कनेक्टिविटी के लिए अरुणाचल प्रदेश में कई गलियारे बनाए जाने का भी प्रस्ताव है।’ सरकार ऐसी सड़कों के निर्माण से सीमाई इलाकों में बसे गांवों के लिए भी कनेक्टिविटी सुधारना चाहती है। एक अधिकारी ने कहा, ‘इन सड़कों के कारण सीमाई इलाकों से पलायन पर भी पाबंदी लगेगी।’