राष्ट्रीय

प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता जारी रखनेवाला व्यक्ति सजा का होगा भागीदार– सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को फैसले में कहा कि प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता जारी रखनेवाला व्यक्ति सजा का भागी होगा। न्यायालय ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता को देश की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ एक गतिविधि माना जाना तय है।

शीर्ष अदालत ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 की वैधता की पुष्टि की है। न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने शीर्ष अदालत के पहले के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि प्रतिबंधित संगठन की सदस्यता तब तक अपराध नहीं है, जब तक कि वह व्यक्ति अपराध में शामिल नहीं होता है।

जस्टिस शाह ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी संगठन पर प्रतिबंध लगने के बाद भी उसकी सदस्यता जारी रखता है तो वह सजा का भागी होगा। न्यायमूर्ति शाह ने पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए यूएपीए की धारा 10 (ए) (आई) को बरकरार रखा, जो एक ऐसे संघ की सदस्यता बनाता है, जिसे गैरकानूनी घोषित किया गया है।

Related Articles

Back to top button