पीएम मोदी का न्योता, भारत में निवेश का यह सर्वश्रेष्ठ समय
नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत वर्तमान ही नहीं बल्कि अगले 25 वर्षों के लक्ष्य को लेकर नीतियां बना रहा है और विकास का यह कालखंड हरित, स्वच्छ, टिकाऊ और भरोसेमंद भी होगा। दावोस एजेंडा में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विश्व की वर्तमान स्थिति पर अपने विशेष संबोधन में पीएम ने कहा कि इस कालखंड में भारत ने उच्च विकास के, कल्याण और बेहतर स्वास्थ्य के उच्च संतुष्टि लक्ष्य रखे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भारत ने दुनिया को उम्मीदों का एक खूबसूरत उपहार दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना के इस समय में भारत वन अर्थ, वन हेल्थ की दृष्टि पर चलते हुए अनेकों देशों को जरूरी दवाइयां और टीके देकर करोड़ों लोगों का जीवन बचा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब से कोरोना शुरु हुआ तब से भारत में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा शायद दुनिया में इस प्रकार का यह सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा। हमारी कोशिश है कि संकट के कालखंड में गरीब से गरीब की चिंता सबसे पहले हो। इस दौरान हमने सुधार पर भी जोर दिया। सुधार के लिए हमारे कदमों को लेकर दुनिया के अर्थशास्त्री भी भरपूर सराहना कर रहे हैं। भारत बहुत मजबूती से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पूरी सजगता और सतर्कता से कोरोना की एक और लहर से मुकाबला कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद आर्थिक क्षेत्र में भी आशावादी परिणामों के साथ वह आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा भारत में आज अपनी आजादी के 75 वर्ष होने का उत्साह भी है और भारत आज सिर्फ एक साल में ही 160 करोड़ कोरोना रोधी खुराक देने के आत्मविश्वास से भी भरा हुआ है। मोदी ने कहा, भारत जैसे मजबूत लोकतंत्र ने पूरे विश्व को एक खूबसूरत उपहार दिया है और वह उपहार है बुके ऑफ होप। इस बुके में है हम भारतीयों का लोकतंत्र पर अटूट विश्वास। इस बुके में है 21वीं सदी को सशक्त करने वाली प्रौद्योगिकी। इस बुके में है हम भारतीयों का टेंपरामेंट और हम भारतीयों की प्रतिभा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक माहौल में भारतीय रहते हैं, वह भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की बहुत बड़ी ताकत है और यह ताकत संकट की घड़ी में सिर्फ अपने लिए सोचना नहीं बल्कि मानवता के हित में काम करना सिखाती है।
उन्होंने कहा, वन अर्थ, वन हेल्थ की दृष्टि पर चलते हुए अनेक देशों को हम जरूरी दवाइयां देकर, टीके देकर करोड़ों लोगों का जीवन बचा रहे हैं। आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फार्मा प्रोड्यूसर है.. फार्मेसी टू वर्ल्ड है। आज भारत उन देशों में है, जहां के स्वास्थ्य पेशेवर, जहां के डॉक्टर अपनी संवेदनशीलता और विशेषज्ञता से सबका भरोसा जीत रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत दुनिया में रिकॉर्ड सॉफ्टवेयर इंजीनियर भेज रहा है, 50 लाख से ज्यादा सॉफ्टवेयर विकसित करने वाले भारत में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत में दुनिया में तीसरे नंबर के सबसे ज्यादा यूनिकोर्न हैं और 10 हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स पिछले छह महीने में पंजीकृत हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों में नवोन्मेष और नयी प्रौद्योगिकी को अपनाने की जो क्षमता है और उद्यमिता की जो भावना है वह हर वैश्विक साझेदार को नई ऊर्जा दे सकती है। उन्होंने कहा इसलिए भारत में निवेश का यह सबसे सर्वश्रेष्ठ समय है। मोदी ने कहा कि गहरे आर्थिक सुधार को लेकर भारत की प्रतिबद्धता एक और बड़ा कारण है जो आज भारत को निवेश के लिए सबसे आकर्षक लक्ष्य बना रहा है। उन्होंने कहा, कोरोना काल में भारत ने सुधार का रास्ता सशक्त किया। डिजिटल और फिजिकल संसाधनों को आधुनिक बनाने की सबसे बड़ी परियोजनाओं को कोरोना काल में ही अभूतपूर्व गति दी गई। देश के छह लाख से ज्यादा गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जा रहा है। विशेष रूप से संपर्क से जुड़े संसाधनों पर 1.3 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलते हुए भारत का फोकस सिर्फ प्रक्रियाओं को आसान करने पर ही नहीं है, बल्कि निवेश और उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर भी जोर है और यही वजह है कि आज 14 क्षेत्रों में 26 अरब डॉलर की प्रोत्साहन आधारित योजनाएं लागू की गई हैं। उन्होंने कहा, आज भारत वर्तमान के साथ ही अगले 25 वर्षों के लक्ष्य को लेकर नीतियां बना रहा है, निर्णय ले रहा है। इस कालखंड में भारत ने उच्च विकास के, कल्याण और बेहतर स्वास्थ्य के उच्च संतुष्टि लक्ष्य रखे हैं। विकास का यह कालखंड हरित भी होगा, स्वच्छ भी होगा, टिकाऊ भी होगा और भरोसेमंद भी होगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का भी उल्लेख किया और कहा कि जीवनशैली भी इसके लिए बड़ी चुनौती है। क्रिप्टोकरंसी को भी एक बड़ी चुनौती करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस तरह की प्रौद्योगिकी इससे जुड़ी है, उसमें किसी एक देश द्वारा लिए गए फैसले इसकी चुनौतियों से निपटने में अपर्याप्त होंगे। यह वर्चुअल कार्यक्रम 17 से 21 जनवरी, 2022 तक आयोजित किया जा रहा है। जापान के प्रधानमंत्री किशिदा फुमियो, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुआ वॉन डेर लेयेन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो, इज़राइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित विभिन्न राष्ट्राध्यक्ष भी इस कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।