कर्नाटक : कर्नाटक विधासनभा का शीत सत्र बेलगावी में सोमवार से शुरू हो रहा है। इस सत्र में सत्ताधारी दल भाजपा और कांग्रेस के बीच हलाल मीट को लेकर संग्राम देखने को मिल सकता है। इसकी वजह यह है कि बसवराज बोम्मई सरकार हलाल मीट प्रतिबंध करने को एक विधेयक लाने की तैयारी में है। भाजपा विधायक एन. रविकुमार ने इसकी मांग की थी कि FSSAI से प्रमाणित खाद्य पदार्थों के अलावा अन्य चीजों पर बैन लगाया जाना चाहिए। इसी साल मार्च में भी कर्नाटक में हलाल को लेकर विवाद छिड़ गया था। अब भाजपा की मांग है कि हलाल मीट पर कानूनी प्रतिबंध ही लगा दिया जाए।
भाजपा विधायक रविकुमार ने हलाल मीट पर बैन को लेकर प्राइवेट बिल पेश करने की तैयारी की थी। उन्होंने इस संबंध में राज्यपाल थावरचंद गहलोत को पत्र भी लिखा है। हालांकि अब वह सरकार की ओर से ऐसा विधेयक पेश करने की मांग कर रहे हैं। खबर है कि भाजपा के राज्य नेतृत्व ने भी इस बिल को लेकर सहमति जता दी है। अब यदि आज यह बिल विधानसभा में आता है तो चुनावी राज्य में संग्राम छिड़ सकता है। कर्नाटक में अगले साल मई में ही चुनाव होने वाले हैं यानी 6 महीने का वक्त ही बचा है। ऐसे में हिजाब विवाद के बाद हलाल मीट को लेकर भी रार छिड़ सकती है। माना जा रहा है कि इससे चुनाव में ध्रुवीकरण का माहौल बन सकता है।
रवि कुमार आज सीएम बसवराज बोम्मई से मुलाकात करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि कुछ अनाधिकृत संस्थान फूड प्रोडक्ट्स को प्रमाणित करने में जुटे हैं। वे अवैध रूप से मार्केट पर कंट्रोल कर रहे हैं। वे इस पर नियंत्रण की कोशिश कर रहे हैं और इस पर रोक लगाने में विधेयक से मदद मिलेगी। इस बिल के चलते विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव बढ़ सकता है। इससे पहले दोनों पार्टियों के बीच धर्मांतरण विरोधी बिल पर भी रार छिड़ गई थी। कुछ ऐसा ही माहौल एक बार फिर से देखने को मिल सकता है। वहीं विधान परिषद में विपक्ष के नेता बीके हरिप्रसाद ने कहा कि हम सभापति से अपील करते हैं कि वे हलाल मीट पर प्राइवेट बिल पेश करने को मंजूरी न दें।
उन्होंने कहा कि विधानसभा में भी कांग्रेस विरोध के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हम भाजपा की रणनीति को समझते हैं। वह अपनी असफलता से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के मकसद से अब भाजपा हलाल मीट को लेकर बिल लाने की तैयारी में है। इसी सत्र में सरकार कुछ और अहम बिल लाना चाहती है। इनमें से एक बिल एससी-एसटी कोटा और कन्नाडिगा लोगों को प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण दिया जाना भी शामिल है। हालांकि इन दोनों विधेयकों पर विपक्ष की ओर से विरोध की संभावना नहीं है।