रेलवे की जमीनों पर बनेंगे प्राइवेट अस्पताल, निजी क्षेत्र की ओर बढ़ते कदम
मुंबई: रेलवे (Railway) की खाली पड़ी जमीनों (Lands) पर अब पीपीपी (PPP) के तहत अस्पताल (Hospital), स्कूल के साथ सोलर प्लांट भी लगाया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि हाल ही में घोषित ‘पीएम गति शक्ति’ योजना (PM Gati Shakti Scheme) के तहत रेलवे की खाली पड़ी हजारों एकड़ भूमि के उपयोग को लेकर संशोधित नीति को मंजूरी दी गई है।
इस पॉलिसी के तहत निजी क्षेत्र को रेलवे की जमीन पट्टे पर मिलने के द्वार खोल दिए गए हैं। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हॉस्पिटल और स्कूल बनाने के साथ साथ सोलर प्लांट स्थापित करने, कार्गो टर्मिनल बनाने सहित सार्वजनिक उपयोग के लिए रेलवे की जमीन उपलब्ध होगी।
35 साल की लीज
पीएम गति शक्ति योजना के तहत रेलवे का खाली भूखंड निजी क्षेत्र को उपयोग के लिए 35 साल की लीज पर दिया जा सकेगा। कार्गो टर्मिनल के लिए बाजार दर की अपेक्षा मात्र 1.5% की दर पर यह उपलब्ध होगा। इसके अलावा अस्पताल और स्कूल के लिए 1 रुपए प्रति वर्गमीटर प्रति वर्ष के मामूली वार्षिक शुल्क के साथ भूखंड उपलब्ध कराया जाएगा। बताया गया कि पीएम गति शक्ति फ्रेमवर्क के लिए नई भूमि नीति निर्धारित की गई है।
इसके तहत 300 पीएम गति शक्ति कार्गो टर्मिनलों को विकसित किया जाएगा। सरकार का दावा है कि इससे माल ढुलाई में रेल की हिस्सेदारी बढ़ेगी और अगले 5 साल और लगभग 1.2 लाख रोजगार होंगे। इससे रेलवे का भार कम होगा। निजीकरण को बढ़ावा मिलेगा। बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति, सीवेज निपटान, शहरी परिवहन जैसी सार्वजनिक सेवा के तहत उपयोग के लिए भी रेलवे के भूखंड उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है।
निजीकरण का विरोध
रेलवे का दावा है कि खाली जमीनों का उपयोग सार्वजनिक हित के लिए होगा, जबकि कुछ संगठन इसे निजी क्षेत्र के कब्जे के रूप में देख रहे हैं। रेलवे में निजी क्षेत्र के लगातार बढ़ते दखल का विरोध संगठन कर रहे हैं। सीआरएमएस के प्रवक्ता अमित भटनागर ने कहा कि एनएफआईआर के सिकंदराबाद बाद में चल रहे रेलवे कर्मचारियों के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी निजीकरण पर विरोध प्रकट किया गया। अमित भटनागर ने कहा कि रेलवे के विकास में अपना खून पसीना बहाने वाले कर्मचारियों के घरों की हालत जर्जर है। उनको दिए गए क्वाटरों की बदतर हालत को सुधारने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है। भटनागर ने कहा कि सिर्फ निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचाने का काम किया हज़ा रहा है। मुंबई में भी रेल कर्मचारियों के काम करने की जगह से लेकर उनके रहने तक व्यवस्था ख़राब है।