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निजी स्कूल व्यापार हो चुके हैं इनके खातों की जांच होनी चाहिए : राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों में फीस एक्ट —2016 की पालना नहीं होने के मामले में सुनवाई के दौरान निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी की हैं। जस्टिस समीर जैन की बैंच ने कहा कि आज स्कूल व्यापार हो चुके हैं और जब इन स्कुूलों को टैक्स में छूट मिलती है तो इनके खातों की जांच भी करवाई जानी चाहिए। इसके लिए जरुरी हो तो सरकार को आयकर विभाग की सहायता भी लेने से गुरेज नहीं करना चाहिए। इस दौरान प्रमुख सचिव शिक्षा कृष्ण कुणाल भी वीसी के जरिए उपस्थित थे।

अदालत ने जितेंद्र जैन व अन्य की याचिकाओं पर पिछली तारीख पर प्रमुख सचिव को हाजिर होने को कहा था। याचिका में विद्याश्रम सहित अन्य निजी स्कूलों ने राजस्थान फीस अधिनियम, 2016 और नियम 2017 के प्रावधानों के विपरीत जाकर फीस में की गई बढ़ोतरी को निरस्त करने और कानून के अनुसार ही फीस लेने के निर्देश देने की गुहार की है।

कोर्ट ने पिछली तारीख् पर सरकार को जयपुर सहित अन्य शहरों के टॉप स्कूलों की आॅडिट करके रिपोर्ट पेश करने केा कहा था। गुरुवार को सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट में जयपुर के बडे निजी स्कूलों की आॅडिट करवाना बताते हुए कहा कि फीस एक्ट की पालना हो रही है और सभी स्कूलों में पेरेंट—टीचर संघ बने हुए हैं। ट्रांसपोर्ट,स्कूल यूनिफार्म और किताबों की खरीद में कोई जबर्दस्ती नहीं है।

याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट दिलीप सिनसिनवार ने विरोध किया और बताया कि विद्याश्रम स्कूल के संबंध में सरकार का ही जवाब में बताया हुआ है कि वहां पेरेंट—टीचर संघ नहीं बना है और सरकार की रिपोर्ट पूरी तरह से गलत है।

कोर्ट ने भी सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट से नाराजगी जताई और कहा कि दो दिन पहले ही स्कूलों में बम होने की सूचना मिली लेकिन किसी स्कूल के पास ऐसी आपात स्थिति से निपटने के ना कोई इंतजाम हैं ना ही उन्हें कोई चिंता है। स्कूलों में ही किताब और स्टेशनरी की दुकान हैं और अभिभावकों को वहीं से खरीदने केा मजबूर करते हैं। यूनिफार्म के लिए तय दुकान से ही खरीद करनी पडती है।

नाराज कोर्ट ने कहा कि हर स्कूल में किताबों की दुकान तो है लेकिन किसी भी स्कूल में डिस्पेंसरी की सुविधा नहीं है। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने किताबों व यूनिफार्म को लेकर जल्दी ही सकुर्लर जारी करना बताया तो कोर्ट ने कहा कि इसकी कोई जरुरत ही नहीं हैै। अभिभावकों को कहीं से भी किताबें और यूनिफार्म खरीदने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। स्कूल को यूनिफॉर्म के लिए दुकान चिह्नित नहीं करनी चाहिए। एनसीआरटी के सिलेबस के अनुसार किताबें तय हैं तो अलग से किताबें क्यों दी जा रही हैं?

कोर्ट ने सरकार को एक और अवसर देते हुए निजी स्कूलों की सही ऑडिट करने और इसके लिए एक्सप​र्ट की मदद लेने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी और कोर्ट प्रमुख सचिव शिक्षा को भी अगली तारीख पर उपस्थित रहने को कहा है।

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