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रामकथा केवल आस्था नहीं, यह संस्कार का अहम स्रोत भी

दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव” विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार

लखनऊ, 19 जुलाई, दस्तक (ब्यूरो): “दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव” विषय पर हुई वेबिनार में वक्ताओं ने कहा कि रामलीला केवल आस्था तक सीमित नहीं हैं। वास्तव में यह तो संस्कार का अहम् स्रोत है। कोसल क्षेत्र में रामलीला लोगों के दैनिक जीवन में अंगीकृत हो चुकी हैं। इसलिए प्रभु राम, जन्म से लेकर मृत्यु तक स्वाभाविक रूप से जुड़ गए हैं। कोसल क्षेत्र के विभिन्न गावों में रामलीला प्रदर्शन स्थलों पर स्थाई रुप से लगी रावण की प्रतिमाएं जन-जन को संदेश देती है कि अधर्मी चाहें जितना शक्ति शक्तिशाली क्यों न हो पर उसका अंत होकर रहता है।

ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण-उत्तर प्रदेश एवं सेंटर फॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट-छत्तीसगढ़ की ओर से अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन रविवार 19 जुलाई को किया गया। अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक योगेंद्र प्रताप सिंह की परिकल्पना में हुए इस वेबिनार में मुख्य अतिथि संस्कृति और पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी ने राम के जन नायक रूप से प्रेरणा लेने का संदेश दिया तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट के सदस्य सचिव, डॉ.सच्चिदानंद जोशी की।

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