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इन 2 चमत्कारी पौधों से है शनि देव का गहरा संबंध, दूर करते हैं जीवन की हर समस्या

नई दिल्ली : हर वृक्ष हर पौधे का अपना एक विशेष गुण होता है. उसकी आकृति, रंग, सुगंध, फल और फूल अलग-अलग ग्रहों से संबंध रखती है. कहते हैं कि अगर ग्रहों से सम्बंधित पौधे लगाकर उनका ध्यान रखा जाए और नित उपासना की जाए तो विशेष लाभ हो सकता है. आज हम आपको दो ऐसे पौधों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका संबंध शनि ग्रह से होता है और जिनकी पूजा से विशेष लाभ मिलता है. ऐसी मान्यता है कि इन पौधों की पूजा करने से घर में सुख-संपन्नता की कमी नहीं रहती है.

शनि से संबंध रखने वाले पौधे का नाम शमी है. शनि की कृपा प्राप्त करने और उसकी पीड़ा से मुक्ति के लिए शमी के पौधे का विशेष प्रयोग होता है. शनि संबंधी पीड़ा के निवारण के लिए पीपल के वृक्ष की पूजा भी अचूक होती है.

शमी का पौधा किसी भी स्थिति में जीवित रह सकता है. अत्यंत शुष्क स्थितियां भी इसको नुकसान नहीं पंहुचा सकती है. इसके अन्दर छोटे-छोटे कांटे भी होते है. इसके कठोर गुणों और शांत स्वभाव के कारण इसका सम्बन्ध शनि देव से जोड़ा जाता है.

कहते हैं कि शनिवार शाम को शमी के पौधे के नीचे दीपक जलाने से शनि संबंधित पीड़ा से निजात मिलती है. यदि कुंडली में शनि मारक हो तो शमी की लकड़ियों पर तिल के दानों से हवन करना चाहिए. साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करने के लिए भी इसके उपाय किए जाते हैं.

पीपल के वृक्ष के गुण शनि से काफी मिलते-जुलते हैं. इसके अलावा, पीपल को शनि के ईष्ट श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता है. पीपल से संबंध रखने वाले पिप्पलाद मुनि ने ही शनि को दंड दिया था. तबसे माना जाता है कि पीपल की वृक्ष की पूजा करने से शनि की पीड़ा शांत हो जाती है.

सामान्यतः शनि पीड़ा की शांति के लिए पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए. इसके अलावा अगर, शनि के कारण संतान या समृद्धि में बाधा आ रही हो तो ढेर सारे पीपल के पौधे लगवाने चाहिए. ऐसा करने से शनि की वक्र दृष्टि का प्रभाव भी कम हो जाता है.

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