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भगवान के पास नहीं छोडऩा चाहिए लगाया गया भोग, सक्रिय होती हैं नकारात्मक शक्तियाँ

नई दिल्ली : हर हिन्दू परिवार में नियमित रूप से सुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। पूजा अर्चना के बाद देवी-देवताओं को भोग लगाया जाता है। भोग में हर व्यक्ति अपनी पसन्द या भगवान को यह पसन्द है सोचकर किसी न किसी खाद्य पदार्थ का भोग लगाता है। भगवान को 56 भोग से लेकर मिश्री, यहाँ तक कि तुलसी के पत्तों का भोग भी लगाया जाता है।

ज्योतिष शास्त्र का मानना है कि पूजा-पाठ के दौरान हुई गलतियों से भगवान नाराज हो जाते हैं और इससे पूजा सम्पूर्ण नहीं मानी जाती है। पूजा की अन्य विधियों की तरह भोग चढ़ाने के भी कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है, तभी पूजा का फल प्राप्त होता है।

शास्त्रों में भगवान को भोग लगाने का भी विशेष महत्व बताया गया है। कहते हैं कि भगवान का प्रिय भोग उन्हें लगाने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। लेकिन वास्तु में भगवान को भोग लगाने को लेकर कई नियम बताए गए हैं। अगर इन नियमों को जरा भी नजर अंदाज किया जाए, या फिर ध्यान न दिया जाए, तो आपकी किस्मत को रुठने में जरा भी देर नहीं लगेगी।

लोग पूजा करते समय भगवान को प्रसाद चढ़ाते हैं और इसके बाद भोग को वहीं भगवान के पास छोड़ देते हैं, जोकि नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति का सौभाग्य दुर्भाग्य में बदल जाता है और सुखों की हानि होती है। भगवान के पास प्रसाद छोडऩे से विश्वक्सेन, चण्डेश्वर, चण्डांशु और चांडाली नामक जैसी नकारात्मक शक्तियाँ आती हैं।

शास्त्रों में बताया गया है कि पूजा पूर्ण होने के बाद प्रसाद को भगवान के पास से उठा लेना चाहिए और इसे श्रद्धापूर्वक सपरिवार ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से न केवल पूजा का फल प्राप्त होता है बल्कि इस विधि से प्रसाद ग्रहण करना ईश्वर के प्रति सम्मान व श्रद्धा को प्रकट करता है। इस विधि से भोग अर्पित करने और ग्रहण करने से देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

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