अफगान महिला कर्मचारियों को काम करने से रोकने का तालिबान का फैसला स्वीकार्य नहीं : UN
इस्लामाबाद : संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि अफगान महिला कर्मचारियों को एजेंसी में काम करने से रोकने के तालिबान के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता और यह निर्णय महिलाओं के अधिकारों का घोर उल्लंघन है।
इसके एक दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान ने उसे सूचित किया है कि वैश्विक निकाय के लिए अफगान महिलाओं के काम करने पर रोक लगा दी गई है। उससे पहले, संयुक्त राष्ट्र मिशन ने उसकी महिला कर्मचारियों को पूर्वी नांगरहार प्रांत में काम करने से रोकने की खबरों पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी।
तालिबान ने मानवीय सहायता के वितरण को बाधित करते हुए अफगान महिलाओं के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों के लिए काम करने पर भी रोक लगा दी है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने पर रोक नहीं थी।
लेकिन तालिबान ने पुराने आदेश को इस सप्ताह बदल दिया। संयुक्त राष्ट्र मिशन ने बुधवार को कहा कि तालिबान के आदेश के अनुसार किसी भी अफगान महिला को अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने की अनुमति नहीं होगी और यह कदम प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा कि यह प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार गैरकानूनी है और वैश्विक निकाय इसे स्वीकार नहीं कर सकता।
निकाय ने बुधवार को जारी अपने बयान में कहा कि तालिबान का फैसला महिलाओं के अधिकारों का, मानवीय सिद्धांतों का और अंतरराष्ट्रीय नियमों का घोर उल्लंघन है। तालिबान ने अपने इस कदम पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है।
बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र की कई महिला कर्मियों ने पहले ही अपनी आवाजाही पर रोक का अनुभव किया है जिनमें उत्पीड़न, धमकी और हिरासत में लिया जाना शामिल हैं। बयान के अनुसार इसलिए, संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान में अपने सभी कर्मचारियों (पुरुषों और महिलाओं दोनों) को अगली सूचना तक कार्यालय नहीं आने का निर्देश दिया है।
तालिबान के फैसले की दुनिया के कई संगठनों ने निंदा की है। सेव द चिल्ड्रन, नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल, डेनिश रिफ्यूजी काउंसिल, एक्शन अगेंस्ट हंगर और वर्ल्ड विजन आदि संगठनों ने एक संयुक्त बयान में अफगान महिला कर्मियों पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आग्रह किया है।