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यूक्रेन की भारत को सलाह, ‘सोच समझकर खरीदें एडवांस रुसी हथियार, हमने अधिकतर मार गिराए’

नई दिल्ली। पिछले दो महीने (more than two months) से ज्यादा समय से रूस-यूक्रेन युद्ध (Russo-Ukraine War) जारी है। इस युद्ध के बाद से जहां दुनिया के अधिकतर देशों ने कोई न कोई पक्ष लिया है तो वहीं भारत (India) ने अपनी तटस्थता (neutrality) को बरकरार रखा है। यानी भारत ने किसी भी देश का पक्ष नहीं लिया है। भारत ने कहा है कि वह शांति के पक्ष में है और रूस और यूक्रेन दोनों से युद्ध समाप्त करने की अपील की है। इसने युद्ध में दोनों देशों में से किसी के खिलाफ एक स्पष्ट स्थिति लेने से लगातार परहेज किया है।

ऐसे में यूक्रेन भारत से लगातार रूस पर दबाव बनाने पर जोर डालता रहा है। बुधवार को एक बार फिर से यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा (Ukraine’s Foreign Minister Dmitro Kuleba) ने कहा कि तटस्थता एक ऐसी स्थिति है जो युद्ध को रोकने में मदद नहीं करती है। एक प्रसिद्ध मैग्जीन के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में दिमित्रो कुलेबा ने कहा कि रूस भारत को रक्षा उपकरणों का “विश्वसनीय” आपूर्तिकर्ता नहीं है जैसा कि आमतौर पर माना जाता है। उन्होंने कहा, “यूक्रेन ने युद्ध के मैदान में सबसे एडवांस रूसी हथियारों को प्रभावी ढंग से नष्ट कर दिया है। तो क्या वास्तव में भारत के हित में ऐसे हथियार खरीदना है जो युद्ध के मैदान में टिक नहीं सकते हैं?” उन्होंने कहा कि भारत को रणनीतिक रूप से अपने व्यापार भागीदारों का चयन करना चाहिए क्योंकि “भारत बढ़ रहा है जबकि रूस गिरावट में है”।

उन्होंने कहा, ‘हम यूक्रेन के लिए भारत के नेतृत्व की ओर से आ रही सहानुभूति की सराहना करते हैं। हम युद्ध रोकने के भारत आह्वान की भी सराहना करते हैं। लेकिन इसके साथ ही, मुझे यह भी कहना पड़ेगा कि इन परिस्थितियों में तटस्थता वह स्थिति है जो युद्ध को रोकने में मदद नहीं करती है। युद्ध को रोकने का सबसे अच्छा तरीका है कि यूक्रेन का समर्थन किया जाए और रूस को इस भ्रम के बिना छोड़ दें कि वह युद्ध जीत सकता है।”उन्होंने कहा, “इसलिए, मेरे विचार में, जब आपके सामने एक स्पष्ट अपराधी और उसके अपराध के शिकार पीड़ित हैं, तो पीड़ित के पक्ष में होना एक नैतिक और राजनीतिक रूप से बुद्धिमान कर्तव्य है।”

यूक्रेन मंत्री ने माना कि भारत रूस के साथ एक महत्वपूर्ण संबंध हैं। इस पर दिमित्रो कुलेबा ने कहा, “एक बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह रूस उस रूस से अलग है जिसके साथ भारत एक विशेष संबंध विकसित कर रहा था। यह रूस अत्याचार करता है, मारता है, बलात्कार करता है और हेरफेर करता है। यह रूस रणनीतिक गिरावट की ओर है। मुझे उम्मीद है कि भारतीय नेतृत्व इतिहास के सही ओर खड़ा होगा।” आगे उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध लोकतांत्रिक दुनिया और एक सत्तावादी के बीच का भी युद्ध है। इसलिए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत के लिए लोकतंत्र के साथ खड़ा होना “सबसे स्वाभाविक विकल्प” होगा।

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