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तेल उत्पादकों पर अमेरिका का दबाव नहीं आया काम, ओपेक प्लस देशों ने लिया उत्पादन घटाने का निर्णय

काहिरा । अमेरिका (America) लगातार तेल उत्पादक देशों (oil producing countries) पर उत्पादन कम न करने का दबाव बना रहा है लेकिन उसकी एक नहीं चली। तेल उत्पादक देशों के बड़े संगठन ओपेक प्लस (opec plus) ने रविवार को उत्पादन कम करने के अपने फैसले पर मुहर लगा दी। अमेरिका और सऊदी अरब (Saudi Arab) के बीच हुई जुबानी जंग के बाद अमेरिका ने आरोप लगाया है कि रियाद ने कुछ अन्य देशों को तेल उत्पादन घटाने के लिए विवश किया।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले हफ्ते कहा था कि कटौती रूस की विदेशी कमाई को बढ़ावा देगी। उसने कहा सऊदी अरब ने तेल उत्पादन में कटौती का फैसला राजनीतिक कारणों से लिया है। इधर सऊदी अरब ने रविवार को ही इस बात से इंकार किया है कि वह यूक्रेन पर आक्रमण में मास्को का समर्थन कर रहा है।

सऊदी किंग सलमान बिन अब्दुलअजीज ने कहा कि हम तेल बाजारों में स्थिरता और संतुलन का समर्थन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जिसमें ओपेक प्लस गठबंधन के समझौते को बनाए रखना शामिल है। जिसमें पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) और रूस सहित अन्य प्रमुख उत्पादक देश शामिल हैं। बात दें कि ओपेक के 13 सदस्य देश दुनिया के तकरीबन 44 फीसदी तेल का उत्पादन करते हैं।

ओपेक सदस्यों ने फैसले को वक्त की जरूरत बताया
राज्य के रक्षा मंत्री और किंग सलमान के बेटे प्रिंस खालिद बिन सलमान ने भी कहा कि 5 अक्तूबर को उत्पादन को 2 मिलियन बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) कम करने का निर्णय एकमत और आर्थिक कारकों पर आधारित था। खाड़ी राज्य के ऊर्जा मंत्री, सुहैल अल-मज़रोई ने ट्विटर पर लिखा कि मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि ओपेक प्लस का सर्वसम्मति से लिया गया ताजा फैसला एक शुद्ध तकनीकी निर्णय था और इसका कोई राजनीतिक इरादा नहीं था।

कुवैत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के मुख्य कार्यकारी नवाफ सऊद अल-सबाह ने भी कहा कि ओपेक प्लस के फैसले का स्वागत किया और कहा कि देश संतुलित तेल बाजार बनाए रखने का इच्छुक है।

अल्जीरिया के ऊर्जा मंत्री मोहम्मद अर्कब ने इस निर्णय को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि उन्होंने और ओपेक के महासचिव हैथम अल घैस ने इस पर पूर्ण विश्वास व्यक्त किया। घैस ने बाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संगठन ने एक विशिष्ट कीमत के बजाय आपूर्ति और मांग के बीच संतुलन बनाने का लक्ष्य रखा है।

सोमवार को दिए एक बयान में अर्कब ने कहा कि ओपेक प्लस का फैसला विशुद्ध रूप से आर्थिक विचारों पर आधारित विशुद्ध तकनीकी प्रतिक्रिया है और इसे सबकी सहमति से लिया गया है।

अमेरिका का आरोप, सऊदी अरब के दबाव में फैसला
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि तेल उत्पादन में कटौती के लिए सऊदी अरब ने “एक से अधिक” ओपेक सदस्य को विवश किया था। किर्बी ने ये भी कहा कि ये कटौती रूस के राजस्व में भी वृद्धि करेगी और यूक्रेन पर फरवरी के आक्रमण पर लगाए गए प्रतिबंधों के प्रभाव को कुंद कर देगी।

जानकारी के मुताबिक किंग सलमान ने राज्य के सलाहकार शूरा काउंसिल को एक संबोधन में कहा कि उनका देश शांति का समर्थक है और पिछले महीने रूस से युद्ध के कैदियों की रिहाई में राजकुमार की महत्वपूर्ण भूमिका थी। खालिद बिन सलमान ने रविवार को कहा कि वह इस दावे से हैरान हैं कि उनका देश यूक्रेन के साथ युद्ध में रूस के साथ खड़ा है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, यह बता रहा है कि ये झूठे आरोप यूक्रेन की सरकार की ओर से नहीं आए हैं।

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