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बांग्लादेश में आम चुनाव के लिए मतदान आज

ढाका: बांग्लादेश में आम चुनाव के लिए रविवार को मतदान होगा, जिसमें मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अनुपस्थिति के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना के लगातार चौथी बार जीत दर्ज करने की उम्मीद है। विपक्षी दल बीएनपी ने चुनाव का बहिष्कार किया है और ‘‘अवैध सरकार” के खिलाफ 48 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। चुनाव आयोग ने कहा कि उसने देश भर के 300 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान की तैयारी लगभग पूरी कर ली है और सुरक्षा व्यवस्था भी सुनिश्चित की है।

राजनीतिक दलों के 1,500 से अधिक उम्मीदवार मैदान में
निर्वाचन आयोग के अनुसार, 42,000 से अधिक मतदान केंद्रों पर रविवार को होने वाले मतदान में कुल 11.96 करोड़ पंजीकृत मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। चुनाव में 27 राजनीतिक दलों के 1,500 से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं और उनके अलावा 436 निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं। भारत के तीन पर्यवेक्षकों समेत 100 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षक 12वें आम चुनाव की निगरानी करेंगे। यह चुनाव कड़ी सुरक्षा के बीच कराया जा रहा है।

सुबह आठ बजे शुरू होगा मतदान
बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त काजी हबीबुल अवल ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि हमारे आम चुनावों को न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जाए। बांग्लादेश संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है और उसने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी किए हैं।” निर्वाचन आयोग ने कहा कि मतदान सुबह आठ बजे शुरू होगा और शाम पांच बजे समाप्त होगा। चुनाव नतीजे आठ जनवरी की सुबह से घोषित किए जाने की उम्मीद है।

बीएनपी ने शनिवार से 48 घंटे की देशव्यापी हड़ताल का किया है आह्वान
प्रधानमंत्री हसीना की सत्तारूढ़ आवामी लीग के लगातार चौथी बार जीतने की उम्मीद है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (78) की पार्टी ने चुनाव का बहिष्कार किया है। खालिदा भ्रष्टाचार के आरोपों में दोषी ठहराए जाने के बाद घर में नजरबंद हैं। हसीना (76) ने इस सप्ताह राष्ट्रीय टेलीविजन पर दिए संबोधन में लोकतंत्र समर्थक और कानून का पालन करने वाले दलों से ऐसे विचारों को हवा न देने का अनुरोध किया था जो देश की संवैधानिक प्रक्रिया में ‘‘बाधा” डालते हों। बीएनपी ने शनिवार से 48 घंटे की देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। सड़कों पर वाहनों की संख्या अन्य दिनों के मुकाबले कम है लेकिन आगजनी के डर के बावजूद सार्वजनिक वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं।

चुनाव लड़ रहे 27 दलों में विपक्षी जातीय पार्टी भी शामिल
चुनाव लड़ रहे 27 दलों में विपक्षी जातीय पार्टी भी शामिल है। बाकी सत्तारूढ़ आवामी लीग की अगुवाई वाले गठबंधन के सदस्य हैं। बीएनपी का दावा है कि मौजूदा सरकार के रहते कोई भी चुनाव निष्पक्ष और विश्वसनीय नहीं होगा। बीएनपी के प्रवक्ता रुहुल कबीर रिजवी ने हड़ताल की घोषणा करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य ‘‘इस अवैध सरकार के इस्तीफे, एक तटस्थ सरकार के गठन और सभी पार्टी नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को जेल से रिहा करने की मांग करना है।” चुनावों के मद्देनजर हसीना सरकार ने हजारों विरोधी नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया है।

भारत और चीन ने शेख हसीना सरकार के प्रति अपनाया है नरम रुख
एक तरफ अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने हसीना सरकार की ओर से कथित तौर पर हजारों प्रतिद्वंद्वी राजनेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार करने की रिपोर्टों पर बार-बार चिंता जताई है। पश्चिमी देशों ने बार-बार हसीना सरकार की लोकतांत्रिक साख पर सवाल उठाए हैं और अधिकार समूहों ने बांग्लादेश सरकार पर विपक्ष को पंगु बनाने का आरोप लगाते हुए निंदा की है तो वहीं भारत और चीन शेख हसीना सरकार के प्रति नरम रुख अपनाया है।

भारत पीएम शेख हसीना की सरकार के साथ खड़ा रहेगाः विदेश मंत्रालय
भारत ने पिछले दो महीनों में इस बात को दोहराया है कि बांग्लादेश में होने वाला आम चुनाव उसका अपना मामला है। विदेश मंत्रालय के बयान को देखते हुए ऐसा माना जाता कि भारत पीएम शेख हसीना की सरकार के साथ खड़ा रहेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा था, ”चुनाव बांग्लादेश का घरेलू मामला है और हमारा मानना है कि बांग्लादेश के लोगों को अपना भविष्य खुद तय करना है।”

भारत को क्यों है शेख हसीना सरकार की जरूरत?
बांग्लादेश के साथ भारत के अपने हित हैं। करीब 170 मिलियन (17 करोड़) लोगों के मुस्लिम-बहुल देश को भारत लगभग तीनों तरफ से घेरता है। भारत के लिए बांग्लादेश केवल एक पड़ोसी ही नही, बल्कि एक रणनीतिक साझेदार और करीब सहयोगी है, जो उत्तर-पूर्वी राज्यों की सुरक्षा और कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण है।

भारतीय नीति निर्माताओं का मानना है कि दिल्ली को ढाका में एक मैत्रीपूर्ण शासन जरूरत है और 2009 में दोबारा सत्ता में आने के बाद से शेख हसीना ने भारत के साथ घनिष्ठ राजनीतिक और आर्थिक संबंध बनाए हैं। यह मजबूत आर्थिक सहयोग अगरतला-अखौरा रेल लिंक और भारत-बांग्लादेश फ्रेंडशिप पाइपलाइन जैसी साझा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से साफ है, जिसने न केवल व्यापार को बढ़ावा दिया है बल्कि दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी में भी सुधार किया है।

टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार 15 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो गया था। दशकों तक चीन के रक्षा आयात पर प्रभुत्व बनाए रखने के बाद, सहयोग अब भारत से हथियार खरीदने वाले बांग्लादेश तक भी फैल गया है।

चीन शेख हसीना का समर्थन क्यों कर रहा है?
चीन बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का समर्थन करता है. 2016 में बांग्लादेश चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल हुआ था। बांग्लादेश को दो पनडुब्बियां बेचने के अलावा चीन कुतुबदिया में इनके लिए 1 बिलियन डॉलर का बेस बना रहा है। चीन ने कई बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भी निवेश किया है। उसने अपने हथियारों की बिक्री जारी रखी है और बांग्लादेश में परियोजनाओं में 38 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। बांग्लादेश में चीन की ऐसी मौजूदगी भारत या अमेरिका के लिए अनुकूल नहीं है, लेकिन नई दिल्ली के लिए राहत की बात यह है कि शेख हसीना की सरकार इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों के प्रति सचेत रही है।

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