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जेएनयू विवाद: उमर, अनिर्बान से पूछताछ में पुलिस को करनी पड़ रही है काफी मशक्कत

104521-mar700दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली : राजद्रोह मामले में गिरफ्तार जेएनयू के छात्रों उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्या से पूछताछ कर रहे अधिकारियों को दोनों से जानकारी निकलवाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है क्योंकि उमर किसी भी नारेबाजी में अपनी संलिप्तता से इनकार कर रहा है जबकि अनिर्बान इन दावों को चुनौती दे रहा है नारे ‘देश विरोधी’ थे।

 दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को खालिद और अनिर्बान से पूछताछ जारी रखी लेकिन इस मामले में उच्च न्यायालय के उस आदेश का हवाला देते हुए कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया जिसमें उसने अत्यंत गोपनीयता बरतने का निर्देश दिया है।

दोनों के साथ ही तीन अन्य छात्रों ने भी पुलिस को काफी चकमा दिया। पुलिस इनकी तलाश 10 से अधिक दिनों तक विभिन्न शहरों में करती रही। ये छात्र मंगलवार को देर रात विश्वविद्यालय के परिसर में अचानक सामने आ गये। खालिद और अनिर्बान ने उसके बाद पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

पुलिस इसके साथ ही जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार के पेशी वारंट का इंतजार कर रही है जो कि न्यायिक हिरासत में है ताकि तीनों से साथ में पूछताछ की जा सके। पुलिस के एक सूत्र ने बताया कि उमर और अनिर्बान से वर्तमान में एसीपी रैंक के अधिकारियों के नेतृत्व में दो अलग-अलग टीमों द्वारा पूछताछ की जा रही है।

दोनों से जेएनयू में गत नौ फरवरी को आयोजित कार्यक्रम के दौरान लगाये गए नारों तथा उस विवादास्पद कार्यक्रम में शामिल अन्य की पहचान के बारे में पूछताछ की जा रही है। सूत्र ने कहा कि पुलिस दोनों से ये भी पूछ रही है कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के खिलाफ आयोजित प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से की गई भारत विरोधी नारेबाजी को रोकने के लिए कि उन्होंने ‘मुख्य आयोजक’ के तौर पर क्या किया।

सूत्र ने कहा, ‘खालिद ने कहा है कि वह किसी भी नारेबाजी में लिप्त नहीं हुआ, अनिर्बान ने जांचकर्ताओं से पूछा कि किस तरह से नारों की प्रकृति देश विरोधी थी।’ सूत्र ने कहा कि खालिद ने पुलिस को बताया है कि कार्यक्रम के बाद वह गाजियाबाद में था लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि अनिर्बान उस अवधि के दौरान कहां था। सूत्र ने कहा कि पुलिस उन लोगों का पता लगाने का प्रयास कर रही है जिन्होंने खालिद और अनिर्बान को आश्रय दिया था।

जब कन्हैया से पूछताछ की गई थी तब उसने स्वयं को विवादास्पद कार्यक्रम से अलग कर लिया था। इसके बाद पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंची कि खालिद और अनिर्बान कार्यक्रम के मुख्य आयोजक थे जिनके नाम कार्यक्रम के पोस्टर पर पहले दिखे थे।

खालिद और अनिर्बान को कार्यक्रम का असंपादित फुटेज दिखाया गया और उन्होंने उसमें कुछ ‘बाहरी तत्वों’ को देखा है जिनकी पहचान अभी की जानी है। सूत्र ने कहा कि कुछ बाहरी व्यक्तियों में से कुछ के बारे में संदेह है कि वे राष्ट्रीय राजधानी की कुछ अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों से थे। विरोध-प्रदर्शन में अन्य राज्यों के लोग भी थे, विशेष तौर पर जम्मू कश्मीर से।’

उमर और अनिर्बान को दिल्ली की अदालत ने बुधवार को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था। दोनों ने मंगलवार रात में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर किया था जिसके बाद दोनों को राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी हिरासत कार्यवाही में ‘गोपनीयता बनाये रखने’ का आदेश दिया था। इसके मद्देनजर साउथ कैंपस पुलिस थाने को एक अस्थायी अदालतकक्ष में तब्दील कर दिया गया। दोनों साउथ कैंपस पुलिस थाने में ही बंद हैं।

सुनवायी के दौरान पुलिस ने दोनों की सात दिन की हिरासत मांगी और कन्हैया की पेशी वारंट के लिए अर्जी भी दी। कल एक बेहद नाटकीय घटनाक्रम में मीडियाकर्मियों ने एक पुलिस के वाहन का पीछा किया लेकिन पुलिस ने उस वाहन का इस्तेमाल उन्हें झांसा देने के लिए किया था। पुलिस ने इस रणनीति का इस्तेमाल उच्च न्यायालय से ‘गोपनीयता बनाये रखने’ के आदेश के बाद किया।

साउथ कैंपस पुलिस थाने से निकलने वाले वाहन में बैठे व्यक्ति का चेहरा एक मफलर से ढका हुआ था। इसके बाद मीडियाकर्मियों के एक समूह ने दोपहर करीब ढाई बजे उसका पीछा दक्षिणी दिल्ली के एक अन्य थाने तक किया। साउथ कैंपस पुलिस थाने में जब अदालती कार्यवाही हुई तो थाने को एक तरह से किले में तब्दील कर दिया गया था। क्षेत्र में पुलिसकर्मियों की कम से कम दो कंपनियां तैनात की गई थीं और वहां आने-जाने वाली सभी सड़कें बंद कर दी गई थीं।

मजिस्ट्रेट शाम करीब साढ़े छह बजे पहुंचे। इसके कुछ ही समय बाद जांच का नेतृत्व कर रहे डीसीपी (दक्षिण) प्रेम नाथ पुलिस थाने में प्रवेश करते दिखे। इसके बाद सुनवायी करीब ढाई घंटे तक चली। इससे पहले बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस को कन्हैया, उमर और अनिर्बान की हिरासत कार्यवाही के दौरान ‘गोपनीयता बनाये रखने’ का आदेश दिया था। अदालत ने साथ ही पुलिस को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि किसी को भी ‘एक खरोंच भी नहीं आये’ और वहां कोई हंगामा नहीं हो।

अदालत का यह आदेश कन्हैया की जमानत अर्जी पर सुनवायी के दौरान आया जब उसे यह सूचित किया गया कि जेएनयू अध्यक्ष, उमर और अनिर्बान को रिमांड कार्यवाही के लिए पटियाला हाउस अदालत में अपनी पेश के दौरान अपनी सुरक्षा को खतरा उत्पन्न होने की आशंका है।

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