चेन्नई : 19 साल की प्रदीपा का जन्म तमिलनाडु के विल्लीपुरम ज़िले के पेरुवलुर पंचायत के एक गांव में हुआ था। 27 जुलाई 1999 को जन्मी प्रदीपा के पिता शनमुघम मज़दूरी करते हैं। उनकी मां, अमुधा घर के कामकाज के साथ-साथ जानवरों की देखभाल करती हैं। प्रदीपा, शनमुघम और अमुधा की तीसरी संतान थी। प्रदीपा की बड़ी बहन उमा प्रिया वेल्लूर में एमसीए की पढ़ाई कर रही हैं और उनके भाई प्रवीन राज इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं।
प्रदीपा ने दसवीं तक की पढ़ाई पेरुवलुर में की। दसवीं में उनके 500 में से 490 नंबर आए और वो ज़िले में अव्वल आईं थीं, उसके बाद ज़िलाधिकारी की मदद से उनका दाखिला दूसरी जगह के एक प्राइवेट स्कूल में करा दिया गया। साल 2016 में प्रदीपा ने बारहवीं कक्षा की परीक्षा दी और इसमें उन्हें 1200 में से 1125 नंबर मिले। प्रदीपा अपने नंबरों से दुखी थीं क्योंकि नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के बिना भी इन नंबरों के सहारे उन्हें प्राइवेट कॉलेज में ही दाखिला मिल सकता था। साल 2017 में नीट व्यवस्था लागू की गई थी और प्रदीपा ने इसी व्यवस्था के तहत फिर से एक बार परीक्षा देने का फ़ैसला किया था। साल 2017 में प्रदीपा ने नीट की परीक्षा अंग्रेज़ी में दी और इसमें उनके 155 नंबर आए, इस नंबर के साथ भी उन्हें केवल प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में ही दाखिला मिलता, इसीलिए उन्होंने तय किया कि एक बार फिर को नीट परीक्षा देंगी। इस बार इसके लिए उन्हें राज्य सरकार से मदद मिली। सरकार से मिली आर्थिक मदद के सहारे उन्होंने सत्यभामा विश्वविद्यालय में नीट कोचिंग क्लासेस में दाखिला लिया। 2018 में उन्होंने तमिल भाषा से नीट की परीक्षा दी लेकिन उन्हें इस बार केवल 39 नंबर आए। परिणाम सुनने के बाद प्रदीपा का दिल ही टूट गया। जैसे ही प्रदीपा को पता चला कि वो परीक्षा में फेल हो गई है, उसने चूहे मारने वाली दवा पी ली। प्रदीपा की मां घर पर ही मौजूद थी, लेकिन उन्हें इस बात का आभास नहीं हुआ। कुछ देर बाद शनमुघम ने देखा कि प्रदीपा को उल्टियां हो रही हैं। इसके बाद उन्हें पता चला कि प्रदीपा ने जान देने के इरादे से चूहे मारने वाली दवा पी ली है। प्रदीपा को फ़र्स्ट-एड दिया गया और इसके बाद उन्हें तुरंत एंबुलेंस से तिरुवनमलाईल सरकारी अस्पताल भेज दिया गया, लेकिन रास्ते में ही प्रदीपा की मौत हो गई। प्रदीपा की मां, अमुधा को जब उनकी मौत की ख़बर मिली तो वो अपना सिर पीटने लगीं, उन्हें सदमा लगा और कुछ वक्त के लिए उनकी याददाश्त चली गई।
प्रदीप के पिता कहते हैं कि प्रश्नपत्र में तमिल से हुए अंग्रेज़ी अनुवाद में कई ग़तलियां थीं और प्रदीपा को इस बात का पता था, उसके बारे में उन्होंने सीबीएसई को भी लिखा था। वो कहते हैं, उसे यकीन था कि वो 500 नंबर ले कर आएगी, लेकिन उसके 39 नंबर ही आए, जो वो बर्दाश्त नहीं कर सकी। वहीँ डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन प्रदीपा के माता-पिता से मिलने पहुंचे। प्रदीपा की मौत के बाद से नीट का विरोध करने वाले कई कार्यकर्ता उनके माता-पिता से मिलने उनके घर पहुंचे। बीते साल नीट परीक्षा के नतीजे आने के बाद अनीता नाम की एक लड़की ने भी खुदकुशी कर ली थी।