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पिछले सर्वे के मुकाबले इस बार कम हुई मुस्लिमों की प्रजनन दर

देश की बढ़ती जनसंख्या पर कई संस्थाएं अपने सर्वे जारी करती है। हाल ही में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (2015-16) में वो बात सामने आई जिस पर समाजशात्री कई तरह से विश्लेषण कर चुके हैं। हिंदुओं की घटती जनसंख्या दर पर कई चिंताजनक लेखों को भी आपने पढ़ा होगा लेकिन हाल ही के इस सर्वे में ये बात भी सामने आई है कि मुस्लिम प्रजनन दर भी पिछले सर्वे के मुताबिक घटी है।

कुल मिलाकर इस सर्वे में कई धार्मिक समुदायों की सालाना प्रजनन दर निकाली गई है और यह पाया गया है कि पिछले सर्वे (2004-05) के मुताबिक इस बार औसतन सभी सभी धर्मों का प्रजनन दर घटा है। जहां हिंदुओं का पिछला प्रजनन दर था 2.8 तो वो अब घटकर 2.1 हो गया है। वहीं मुस्लिम समुदाय का प्रजनन दर, जिस पर यह बहस होती रही कि जनसंख्या बाहुल्य होने के मकसद से इसे बढ़ाने का काम हो रहा है वो भी घटी है। 

पिछले सर्वे के मुताबिक इस बार मुस्लिम प्रजनन दर 3.4 के मुकाबले 2.6 रह गया है। इस सर्वे से यह आंकलन भी लगाना गलत नहीं होगा कि जिस समुदाय का प्रजनन दर कम हो रहा है उनका शिक्षा दर बढ़ रहा है या फिर ये कहें कि शिक्षा दर में बढ़ोत्तरी ही गिरते प्रजनन दर का कारण हैं। सभी सामुदायिक वर्गों में सबसे कम प्रजनन दर 1.2 है और यह समुदाय है जैन वर्ग, जिसमें शिक्षा का दर नियमित बढ़ा है। 

सर्वे के मुताबिक सिखों का प्रजनन दर 1.6 है जो पिछले सर्वे में 1.95 था, बौध धर्म में ये आंकड़ा 1.7 है और यह पहले 2.25 रहा था तो क्रिस्चनों में प्रजनन दर 2.0 जो पिछले मुकाबले .34 कम हुआ है, वहीं कुल मिलाकर भारतीय प्रजनन दर 2.2 आंकी गई है।

 

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