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भारत-बांग्लादेश विभाजन के बाद से अपनों से मिलने के लिए जुटते हैं हजारों लोग

भारत और बांग्लादेश की सीमा का नजारा भारत पाकिस्तान के बॉर्डर से थोड़ा अलग है। इस बॉर्डर पर भी हर दिन सेना के जवान परेड करते हैं इस परेड में भी जोश- खरोश होता है लेकिन सबकुछ दोस्ताना माहौल में।

भारत-बांग्लादेश विभाजन के बाद से अपनों से मिलने के लिए जुटते हैं हजारों लोग

भारत-बांग्लादेश सीमा पर बांग्लादेश का एक जिला है ठाकुरगांव। यहां के रानीशनकैल एवं हरिपुर उप जिलों में दोनों देशों की पांच किमी लंबी सीमा के दोनों ओर भारी भीड़ जमा हुई। वजह थी देश के विभाजन के बाद कई परिवार ऐसे थे जिनके कुछ रिश्तेदार सरहद के इसपार और कुछ उसपार रह गए। बिछड़े लोगों को अपनों से मिलाने के लिए यहां साल में एकदिन मेला लगता है।

पथरकली मेले के नाम से मशहूर इस मेले में दोनों देशों के वह लोग एकत्रित होते हैं जो किसी कारणवश एकदूसरे से मिल नहीं पाते हैं। सुरक्षा बल हर साल पथरकली मेले पर खासकर ऐसे लोगों को उनके संबंधियों से मिलने की इजाजत देते हैं, जो कानूनी रूप से यात्रा कर वहां जाने का खर्च नहीं उठा सकते।

हरिपुर पुलिस ने बताया कि दोनों देशों के लोगों ने एक-दूसरे से बात की। उनके सुख-दुख साझा किए। इस मौके पर सरहद के दोनों तरफ उत्सव सा माहौल था, अपने रिश्तेदारों से मिलने केलिए लोग अपनी तरफ से खाने का सामान, कपड़े और अन्य चीजें उपहार स्वरूप दीं।

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