मेहनत के साथ नहीं ये बात तो नहीं मिलेगा लक्ष्य
दस्तक टाइम्स/एजेंसी: बहुत समय पहले चीन के तांग प्रांत में एक वृद्ध साधु वू ताई पर्वत की तीर्थयात्रा पर जा रहा था। वू ताई पर्वत पर ज्ञान के बोधिसत्व मंजुश्री का निवास माना जाता है।
वृद्ध और अशक्त होने के कारण वह धूल भरे मार्ग पर भिक्षा मांगते हुए बहुत लंबे समय तक चलता रहा। कई सप्ताह की यात्रा के बाद उसे बहुत दूर स्थित वू ताई पर्वत की झलक दिखी।
मार्ग के किनारे खेत में काम कर रही एक बूढ़ी स्त्री से साधु ने पूछा, मुझे वू ताई पर्वत तक पहुंचने में कितना समय लगेगा?
बुढ़िया ने एक पल के लिए साधु को बहुत गौर से देखा। फिर कुछ बुदबुदाते हुए वह अपनी जगह पर चली गई। साधु ने उससे यही प्रश्न पुनः दो बार पूछा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
साधु को लगा, शायद बुढ़िया बहुत बहरी है। वह अपने रास्ते चल दिया। वह कुछ कदम आगे चला ही था कि उसने बुढ़िया को जोर से यह कहते हुए सुना- दो दिन! वहां पहुंचने में अभी पूरे दो दिन लगेंगे।
यह सुनते ही साधु ने झल्लाकर कहा, मुझे लगा कि तुम सुन नहीं सकती। यह बात तुमने मुझे पहले क्यों नहीं कही?
बुढ़िया ने कहा, आपने जब प्रश्न पूछा था तो स्थिर खड़े थे। मैं आपके चलने की गति और उत्साह दोनों देखना चाहती थी।