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अखिलेश का नर्म हिन्दुत्व कार्ड, धार्मिक प्रतीकों से वोटों के ध्रुवीकरण पर सपा का जोर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पांच साल पहले बने चुनावी मंजर को समाजवादी पार्टी अब बदलने की कोशिश में हैं। उस वक्त सरकार चला रहे अखिलेश यादव को भाजपा ने प्रखर हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद पर ध्रुवीकरण कराने वाले मुद्दों पर घेरा था और सत्ता से बाहर कर दिया था। अब अखिलेश उसकी काट के लिए खुद को नर्म हिन्दुत्व के प्रतिनिधि के तौर पर पेश कर रहे हैं।

यह सिलसिला लोकसभा चुनाव के दौरान ही शुरू हुआ था लेकिन तब बात नहीं बनी। अब इसे फिर परवान चढ़ाया जा रहा है। अखिलेश यादव एक ओर खुद को असली केशव (श्रीकृष्ण) के वंशज बता रहे हैं, तो वह उन बातों से परहेज भी कर रहे हैं जिससे उन पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाने का मौका भाजपा को मिले।

सपा के प्रचार गीतों में अखिलेश यादव को कृष्ण बता कर विरोधियों का परास्त करने की उपमा दी जा रही है। खुद कई मौकों पर अखिलेश यादव अपने को भगवान विष्णु का भक्त बताते हैं और इटावा के बीहड़ में भगवान विष्णु का मंदिर बनवाने की बात भी कह चुके हैं। अयोध्या व मथुरा के तमाम संत व साधुओं का वह आशीर्वाद ले रहे हैं। इस साल उन्होंने जगदगुरु शंकरचार्य स्वामी स्वरूपानंद से हरिद्वार जाकर आशीर्वाद लिया।

पिछले साल अयोध्या में श्रीराम मंदिर की नींव रखीगई थी, उस वक्त सपा प्रमुख ने ट्वीट कर लिखा था, ‘जय महादेव जय सिया-राम , जय राधे-कृष्ण जय हनुमान। भगवान शिव के कल्याण, श्रीराम के अभयत्व व श्रीकृष्ण के उन्मुक्त भाव से सब परिपूर्ण रहें!’ हाल में पार्टी के तैयार थीम सांग में अखिलेश आ रहे हैं, मुरलीधर कृष्ण बदलकर भेष आ रहे हैं को भी प्रचारित किया जा रहा है।

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