ज्ञान भंडार

अलगाववादियों की हालात बिगाड़ने की साजिश नाकाम

kashmir_shutsराज्य ब्यूरो, श्रीनगर : अलगाववादियों के यौम-ए-इस्तकलाल मनाने और जामिया मस्जिद चलो मार्च के बहाने हालात बिगाड़ने की साजिश को शुक्रवार प्रशासन ने डाउन-टाउन में क‌र्फ्यू व अन्य संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा लागू कर नाकाम बना दिया। वहीं, लगातार 18वें जुमे को भी जामिया मस्जिद में नमाज नहीं हुई और नजरबंदी भंग कर जामिया मार्च के लिए निकले मीरवाइज मौलवी उमर फारूक को पुलिस ने उनके घर के बाहर ही पकड़ हवालात में बंद कर दिया। कट्टरपंथी गिलानी की नजरबंदी को और ज्यादा सख्त बनाया गया। इस बीच, लगातार 127वें दिन भी कश्मीर में अलगाववादियों के बंद के चलते सामान्य जनजीवन पूरी तरह अस्तव्यस्त रहा।

कश्मीर में गत आठ जुलाई को आतंकी बुरहान के मारे जाने के बाद से ही हुर्रियत कांफ्रेंस समेत सभी अलगाववादी संगठनों द्वारा लगातार कश्मीर बंद और राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों का आयोजन कर रहे हैं।

हुर्रियत कांफ्रेंस ने शुक्रवार भी कश्मीर बंद का आह्वान करते हुए लोगों से जामिया मस्जिद श्रीनगर मार्च का एलान किया था। लोगों से कहा गया था कि वह जामिया मस्जिद पहुंचे और नमाज ए जुमा अदा करने के साथ ही यौम-ए-इस्तकलाल मनाएं। नमाज ए जुमा के बाद हुर्रियत नेताओं ने वहां एक रैली का भी एलान कर रखा था। वादी में सुधरते हालात के बीच अलगाववादियों के इस मार्च के दौरान ¨हसा भड़कने की आशंका को देखते हुए ही पुलिस ने गत रोज जेकेएलएफ चेयरमैन मुहम्मद यासीन मलिक को गिरफ्तार करने के अलावा मीरवाइज मौलवी उमर फारूक समेत सभी प्रमुख अलगाववादियों को नजरबंद कर दिया था।

सुबह पूरे डाउन-टाउन में क‌र्फ्यू लगा दिया गया। किसी को भी जामिया मस्जिद की तरफ आने जाने नहीं दिया गया। इससे जामिया मस्जिद में नमाज नहीं हो पाई। हालांकि दोपहर को मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने नजरबंदी भंग कर जामिया मस्जिद की तरफ मार्च का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें उनके घर के पास ही हिरासत में ले लिया और देर शाम तक उन्हें नगीन स्थित पुलिस स्टेशन की हवालात में रखा गया था।

इस बीच, अलगाववादियों के मार्च और बंद के आह्वान के बीच प्रशासन द्वारा विभिन्न इलाकों में लगाई गई प्रशासनिक पाबंदियों का असर स्थानीय जनजीवन पर पूरी तरह नजर आया। बीते कुछ दिनों से सड़कों पर लगातार बढ़ रही निजी वाहनों की संख्या और रेहड़ी-फडीवालों की भीड़ आज नहीं थी। सार्वजनिक वाहन भी पूरी तरह ठप रहे। दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे, लेकिन सरकारी कार्यालय खुले थे, लेकिन कर्मचारियों की उपस्थिति नाममात्र ही रही। बंद के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए थे। सभी संवेदनशील इलाकों में पुलिस व अ‌र्द्धसैनिकबलों के जवानों को तैनात किया गया था।

Related Articles

Back to top button