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असली सुपरस्टार थे देव आनंद, हर फिक्र को धुएं में उड़ाते थे देव साहब

नई दील्ली : 60 के दशक के मशहूर एक्टर देवा आनंद अपनी खास स्टाइल और चुलबुलेपन के लिए जाने जाते थे। ऐसा कहा जाता था कि उस दौर में देवा आनंद के नाम रोमांटिक हिरो के तौर पर लिया जाता जिनकी पर्सनलिटी कई लड़कियों का दिल चुरा लेती थी।

असली सुपरस्टार थे देव आनंद, हर फिक्र को धुएं में उड़ाते थे देव साहबएक तरफ दीलीप कुमार थे जो अक्सर गंभीर रोल करते थे। वहीं देवा आनंद के अंदाज के लाखों दीवाने थे। 26 सितंबर 1923 को देव साहब का जन्म हुआ था। देव आंनद का असली नाम धर्म देवदत्त पिशोरीमल आंनद है लेकिन उन्हहें बॉलीवुड में सिर्फ देव आनंद के नाम से ही जाना जाता था। उनका जन्म पंजाब में हुआ था। उन्हें उनके घर पर चीरू कहकर बुलाया जाता था। आपको बता दें कि देव आंनद ने अपनी करियर की शुरुआत 85 रुपये के वेतन पर एक कंपनी में अंकाउटेंट की नौकरी के साथ की थी। बतौर हीरो देव आनंद की पहली फिल्म 1946 की हम एक हैं।

उनकी एक्टिंग का अलग स्टाइल होता था। एक सांस में लंबी डायलॉग डिलीवरी और एक तरफ झुक कर चलने का उनका खास स्टाइल लोगों पर सालों तक जादू चलाता रहा। देव आंनद अपने जमाने के सबसे हैंडसम हीरो थे। उनकी खूबसूरती का जादू कुछ ऐसा था कि लोगों में ये अफवाह थी कि उन पर काले कपड़े पहन कर बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई हैं क्योंकि उन्हें काले कपड़ों में देखने के लिए लड़कियां अपनी छतों से कूद जाया करती थीं

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1949 में पहली बार देव साहब ने नवकेतन फिल्मस के नाम से अपनी प्रोडक्शन कंपनी की शुरुआत की। बॉलीवुड में गुरु दत्त को पहली बार ब्रेक देने का श्रेय भी देव आनंद को ही दिया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी प्रेम कहानी उन्हीं की तरह बेहद रोमांटिक थी। उन्हें सबसे पहले सुरों की रानी सुरैया से प्यार हुआ था। एक बार शूटिंग के दौरान सुरैया पानी में डूब रही थी। देवा आनंद ने अपनी जान में खेलकर सुरैया की जान बचाई थी। तभी से दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे थे।

देवा आनंद ने सुरैया को 3000 रुपये की हीरें की अंगुठी से उन्हें प्रपोज किया था। लेकिन सुरैया की नानी को उनका रिश्ता पसंद नहीं आया जिसके बाद ये रिश्ता बनते बनते रह गया। सुरैया की नानी नहीं चाहती थी कि उनकी नातिन किसी हिंदु परिवार में शादी करे। इसके बाद उन्हें अपनी को-एक्ट्रेस कल्पना कार्तिक से प्यर हुआ। दोनों फिल्म टैक्सी ड्राइवर की शूटिंग के दौरान मिले थे। कल्पना इस फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू किया था।

दोनों लंच टाइम में शादी कर ली। कल्पना देवा आनंद के आखिरी समय तक पत्नी रही। फिल्मों की बात करें तो मिस्टर प्राइम मिनिस्टर थी। जो कि साल 2005 में रिलीज हुई थी। वो एक ऐसे शख्स थे जो हमेशा हर हालात में खुश रहते थे इसलिए उन्हें सदाबहार देव आनंद भी कहा जाता था। फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण और दादासाहेब फाल्के पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

 

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