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आज है करवा चौथ, जानिए कब उदय होगा चंद्रमा

karva4-1446118965दस्तक टाइम्स/एजेंसी: नई दिल्ली: 30 अक्टूबर 2015 को शुकवार है। इस दिन शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: दक्षिण, शाके: 1937, हिजरी: 1437, मु. मास: मुहर्रम-16, ऋतु: हेमन्त, मास: कार्तिक, पक्ष: कृष्ण है।

शुभ तिथि

तृतीया जया संज्ञक तिथि प्रात: 8.25 तक, तदन्तर अन्त रात्रि अगले दिन सूर्योदय पूर्व प्रात: 6.26 तक चतुर्थी रिक्ता संज्ञक तिथि रहेगी। इसके बाद सूर्योदय पूर्व ही पंचमी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। इस प्रकार शुक्रवार को चतुर्थी का क्षय होगा।

क्षय तिथि शुभ व मांगलिक कार्यों में शुभ नहीं होती। पर केन्द्र या त्रिकोण स्थान में शुभ व बलवान ग्रह हो तो क्षय तिथि का दोष हट जाता है। वैसे तृतीया तिथि में गीत-संगीत-नृत्य कार्य व शिक्षा, अन्नप्राशन, वास्तु कर्म, सीमंत कर्म आदि कार्य व द्वितीया तिथि में कथित समस्त कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं।

चतुर्थी तिथि में विद्युत से सम्बन्धित कार्य, असद् कार्य आदि विशेष रूप से सिद्ध होते हैं। जैसा कि पूर्व में कहा जा चुका है। यदि कोई शुभ ग्रह कार्य के समय के लग्न में केन्द्र या त्रिकोण स्थान में स्थित हो तो रिक्ता तिथि का दोष भी दूर हो जाता है। वैसे चतुर्थी तिथि में जन्मा जातक विद्वान, बुद्धिमान, दानी, पराक्रमी व बहुमित्रों वाला खुशमिजाज होता है।

नक्षत्र

रोहिणी नक्षत्र सायं 4.57 तक, तदन्तर मृगशिर नक्षत्र रहेगा। रोहिणी नक्षत्र में सामान्यत: सभी शुभ व मांगलिक कार्य, विवाह, पौष्टिक, धनसंचय, देवगृह, देवकृत्य व अलंकारादिक कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। इसी प्रकार मृगशिर नक्षत्र में भी उपरोक्त वर्णित समस्त कार्य करने योग्य हैं।

रोहिणी नक्षत्र में जन्मा जातक सामान्यत: सुन्दर, आकर्षक व्यक्तित्व, सत्य व मधुर भाषी, जनप्रिय, कार्यपटु, कलाकार, दृढ़ प्रतिज्ञ, भोगी, धन व स्मरण शक्ति तीव्र, कभी-कभी अहंकार के ग्रस्त हो जाने वाला होता है। इनका भाग्योदय लगभग 30 वर्ष के बाद होता है।

योग

वरियान नामक नैसर्गिक शुभ योग प्रात: 7.31 तक, तदन्तर अन्तरात्रि 4.43 तक परिघ नामक नैसर्गिक अशुभ योग तथा इसके बाद शिव नामक नैसर्गिक शुभ योग प्रारम्भ हो जाएगा।

परिघ योग की पूर्वाद्र्ध घटियां शुभ व मांगलिक कार्यों में शुभ नहीं होती। यमघंट नामक अशुभ योग सूर्योदय से सायं 4.57 तक रहेगा। जो विशेषकर यात्रादि में शुभ नहीं होता।

करण

भद्रा संज्ञक विष्टि करण प्रात: 8.25 तक, तदन्तर बवादि करण रहेंगे।

चंद्रमा

अन्तरात्रि 4.21 तक वृष राशि में, इसके बाद मिथुन राशि में रहेगा।

परिवर्तन

अन्त रात्रि 2.31 पर शुक्र उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करेगा।

व्रतोत्सव

शुक्रवार को रोहिणी व्रत (जैन), करवा चौथ व्रत तथा दशरथ चतुर्थी है।

शुभ मुहूर्त

उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार शुक्रवार को गृहारम्भ (अतिआवश्यकता में- भद्रा व रिक्ता तिथि दोष) रोहिणी में तथा विवाह द्विगर्त प्रदेशीय का मृगशिर नक्षत्र में शुभ मुहूर्त हैं।

वारकृत्य कार्य

शुक्रवार को सामान्यत: मनोरंजन व मनोविनोद के कार्य, गुप्त वार्ता, सांसर्गिक कार्य, फिल्म संबंधी कार्य, अभिनय, मणि-रत्न, वस्त्र, उत्सव, आभूषण, भूमि-व्यापार, कृषि कर्म, जमीन जायदाद व भण्डार (संग्रह) करना आदि कार्य सिद्ध होते हैं।

दिशाशूल

शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर अति आवश्यकता की स्थिति में कुछ जौ के दाने चबाकर शूल दिशा की यात्रा प्रस्थान कर लेना चाहिए। वैसे चन्द्र स्थिति के अनुसार दक्षिण दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।

 

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