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आधी रात ‘किसान घाट’ पर खत्म हुई किसान क्रांति पदयात्रा

गाजियाबाद : गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ पहले दौर की वार्ता विफल हो जाने के बाद यूपी गेट पर डेरा डाले करीब तीस हजार किसानों को मंगलवार देर रात एक बजे दिल्ली पुलिस ने महात्मा गांधी की समाधि राजघाट जाने की इजाजत दे दी।

यूपी गेट पर लगाए गए बैरिकेड हटा लिए गए। बुधवार रात को तकरीबन एक बजे के आसपास किसान अपने ट्रैक्टर और पुलिस की बसों में भरकर किसान घाट के लिए रवाना हुए। इसके बाद किसान देर रात राजघाट होते हुए ‘किसान घाट’ पहुंचे, जहां किसान क्रांति पदयात्रा को समाप्त कर दिया गया। बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के ‘किसान घाट’ पहुंचकर वहां पर कुछ देर रुके और बुधवार सुबह चार बजे के बाद वापस यूपी की ओर लौटने लगे। बताया जा रहा है कि दिल्ली से सभी किसान सुबह 6 बजे तक यूपी के लिए लौट चुके थे। अब किसान गाजियाबाद के रास्ते वापस अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं। पूर्वी दिल्ली में दिल्ली-यूपी गेट (नोएडा से दिल्ली की ओर जाने वाली रोड) मंगलवार को किसान क्रांति पदयात्रा के दौरान पुलिस और किसानों के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद पुलिस ने बहुत से ट्रैक्टरों की हवा निकाल दी थी। बुधवार को भी ट्रैक्टर ट्रॉली यही खड़े हैं। पुलिस ने इस रोड को बंद किया हुआ है। किसानों का कहना है कि प्रशासन ट्रैक्टरों को सही करवाकर दे, तभी सड़कों से ट्रैक्टर हटेंगे। वहीं, इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने किसान क्रांति पदयात्रा को लेकर कहा कि 23 सितंबर को शुरू हुई किसान क्रांति पदयात्रा को दिल्ली में किसान घाट पर समाप्त किया जाना था। उन्होंने दिल्ली पुलिस को घेरते हुए कहा कि पहले हमें दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी, जिसका हमने विरोध किया। हमारा लक्ष्य केवल यात्रा को पूरा करना था जो हमने पूरा कर लिया है। अब हम लोग अपने गांव वापस लौट जाएंगे।किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए गाजियाबाद के जिलाधिकारी ने बुधवार को जिले के सभी स्कूल कॉलेजों बंद रखने का आदेश दिया है। इसके साथ ही पुलिस और प्रशासन को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह अलर्ट कर दिया गया है। किसान क्रांति पदयात्रा खत्म होने के बाद आंदोलनकारी दिल्ली से वापस यूपी और उत्तरखंड वापस लौट रहे हैं, ऐसे में गाजियाबाद में बुधवार को भी तमाम रास्ते जाम रह सकते हैं। इससे पहले दिन में यूपी गेट पर दिल्ली पुलिस के साथ तगड़ी झड़प हुई। किसानों ने ट्रैक्टर चढ़ाकर बैरिकेड तोड़ दिए। उन्हें रोकने के लिए दिल्ली पुलिस को बल प्रयोग करन पड़ा और रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। झाड़ियों से दिल्ली में घुसने का प्रयास कर रहे किसानों पर लाठियां भी भांजीं। इस दौरान 10 किसान गंभीर घायल हो गए, जबकि 30 अन्य को मामूली चोट आई। दिल्ली पुलिस के एक एसीपी समेत सात पुलिसकर्मी भी गंभीर रूप से घायल हो गए। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने इस बारे में कहा कि 23 सितंबर को शुरू हुई किसान क्रांति पदयात्रा को दिल्ली में किसान घाट पर समाप्त किया जाना था। हालांकि दिल्ली पुलिस ने पहले हमे दिल्ली में एंट्री करने की इजाजत नहीं दी, जिसका हमने विरोध किया। हमारा लक्ष्य केवल यात्रा को पूरा करना था जो हमने पूरा कर लिया है। अब हम लोग अपने गांव वापस लौट जाएंगे। इस दौरान, केंद्र व राज्य के मंत्री और आला अफसर भी किसानों की मान मनौव्वल में जुटे रहे। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री व प्रदेश के मंत्रियों ने मौके पर आकर सरकार की ओर से आश्वासन भी दिया, लेकिन किसानों ने विरोध जताते हुए उनकी ओर जूता उछाल दिया। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले हरिद्वार से किसान क्रांति यात्रा लेकर चले किसानों को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश की जिला गाजियाबाद और दिल्ली पुलिस ने द्वीचक्रीय सुरक्षा इंतजाम किए थे। दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश से आने वालीं दोनों सड़कों पर बैरिकेडिंग कर बड़ी संख्या में पुलिसबल तैनात किया था। गाजियाबाद की ओर से लिंक रोड पर रैपिड एक्शन फोर्स लगाकर बैरिकेडिंग की गई थी। सुबह करीब सवा 11 बजे किसानों ने ट्रैक्टर चलाते हुए पहले गाजियाबाद पुलिस की बैरिकेडिंग तोड़ी और बाद में दिल्ली पुलिस की। इस पर दिल्ली पुलिस ने किसानों पर बल प्रयोग करते हुए रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले किसानों पर फेंके।

किसानों ने बैरिकेडिंग के ऊपर से कूदने का प्रयास किया। कुछ किसान बैरिकेडिंग के किनारे से दिल्ली के अंदर घुसने लगे तो पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी। रबर बुलेट और लाठी लगने से दस लोगों को गंभीर चोट आई। तीन मीडियाकर्मी भी रबर बुलेट से घायल हो गए। मीडियाकर्मी कपिल सिर में रबर बुलेट लगने से घायल हो गए। अन्य घायलों में मुजफ्फरनगर निवासी मोहम्मद सलीम, कैथल निवासी लालू राम, बिजनौर निवासी विजेंद्र, मुजफ्फरनगर निवासी ओमपाल, बुलंदशहर निवासी योगेश, मेरठ निवासी जगबीर ङ्क्षसह व कुंवर पाल निवासी, मध्य प्रदेश निवासी राजेंद्र निवासी, राम ङ्क्षसह, सबीर ङ्क्षसह, गुरदास ङ्क्षसह और पंजाब निवासी गुरप्रीत ङ्क्षसह शामिल हैं। घायलों को यशोदा और अन्य अस्पतालों में प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। कुछ किसानों को एमएमजी अस्पताल में भी भर्ती कराया गया है। सुबह सात बजे किसानों ने लिंक रोड स्थित फॉर्म हाउस से पैदल, ट्रैक्टर और गाडिय़ों से दिल्ली की ओर कूच कर दिया। किसान यूपी गेट पर इकट्ठा गए और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से वार्ता का इंतजार करने लगे। दोपहर करीब 12 बजे गृहमंत्री से किसानों के 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता की। अपराह्न करीब तीन बजे केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी और स्वतंत्र प्रभार मंत्री सुरेश राणा कृषि सचिव तथा प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों के साथ किसानों के बीच पहुंचे। उन्होंने किसानों की मांगों के सापेक्ष सरकार के जवाब को सभी के सामने रखा। ठोस जवाब न पाकर किसान विरोध पर उतर आए। उन्होंने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए केंद्रीय और प्रदेश सरकार के मंत्रियों की ओर जूता उछाल दिया। इस पर मंत्री वहां से निकल गए। वहीँ, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार ने किसानों की सभी मुख्य मांगों की अनदेखी की है। आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। किसानों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया, जिसमें कई घायल हो गए। हमारा आंदोलन कोई राजनीतिक मंच नहीं है। जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जातीं हमारा आंदोलन जारी रहेगा। इससे पहले यूनियन के प्रवक्ता युद्धवीर सिंह ने राजनाथ सिंह से बातचीत के बाद 11 में से सात मांगों पर सहमति की बातें कही थीं। किसानों को समर्थन देने पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह यूपी गेट पहुंचे। किसानों ने उन्हें कंधे पर उठाया और राकेश टिकैत के पास ले गए। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह हमेशा किसानों की लड़ाई में साथ हैं। हालांकि राकेश टिकैत से चंद मिनट बात करने के बाद भीड़ और गर्मी के चलते उनकी तबीयत बिगड़ गई।

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