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एक रुपए के नोट क्यों जारी नहीं करता रिजर्व बैंक, क्या है छोटे नोट की बड़ी कहानी


नई दिल्ली : पहले विश्वयुद्ध की आग में झुलस रही थी दुनिया, तब भारत के रुपए-पैसे औपनिवेशिक सरकार यानी ब्रिटिश सरकार के यहां छपा करते थे। चूंकि लड़ाई की वजह से सिक्के ढालने वाले टकसालों की क्षमता सीमित हो चुकी थी, लिहाजा ब्रिटिश सरकार ने एक रुपए का नोट निकाला। 30 नवंबर 1917 को इंग्लैंड से छपकर आया ये नीले रंग का नोट जल्द ही भारतीय बाजार पर छा गया, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था का ये सबसे नन्हा नोट आरबीआई नहीं, बल्कि भारत सरकार की ओर से जारी होता है। इस एक रुपए के नोट के अलावा दूसरे सभी नोटों पर आरबीआई गर्वनर के दस्तखत होते हैं। ये नोट दूसरे नोटों से अलग है, साथ ही इसके कई दिलचस्प पहलू भी हैं जो इसे दूसरे नोट से अलग बनाते हैं। हमारे देश में रुपए-पैसों की टकसाल का एकमात्र अधिकार आरबीआई के पास है। एक रुपए के नोट के अलावा बाकी सब पर आरबीआई गर्वनर के हस्ताक्षर होते हैं, वहीं एक रुपए के नोट वित्त मंत्रालय द्वारा जारी होता है और इसपर वित्त सचिव के दस्तखत होते हैं, इसकी एक बड़ी वजह ये है कि आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 24 के अनुसार आरबीआई को एक रुपये के बैंक नोट जारी करने का अधिकार नहीं है। चूंकि नोट के अलावा ये सिक्कों के रूप में भी बाजार में है, लिहाजा इसे लाएबिलिटी माना जाता है और मैं धारक को अदा करने का वचन देता हूं, नहीं लिखा रहता है। एक रुपए के नोट के 101 सालों के इतिहास में इन पर दो बार रोक लगी। सबसे पहले साल 1926 में लागत संबंधी वजहों से इस नोट पर रोक लगाई गई, बाद में 1940 में नोट दोबारा बनने लगे जो 1994 में एक बार फिर से बंद कर दिए गए। इसके बाद 2015 से नोटों की छपाई फिर से शुरू हो गई। हालांकि दो बार नोट बनने पर रोक लगने के बाद भी इनका अस्तित्व खत्म नहीं हुआ और ये हमेशा वैध रहे। आजादी के बाद नोट से जॉर्ज पंचम की तस्वीर हटाकर अशोक स्तंभ प्रिंट किया जाने लगा। कहा जाता है कि पहले भारत सरकार ने इसपर गांधीजी की तस्वीर चित्रित करनी चाही, लेकिन कुछ वजहों से ऐसा संभव नहीं हो सका। नोट पर उस वक्त के वित्त सचिव के दस्तखत थे। एक रुपए के नोट छापने का अधिकार भारत सरकार को कॉइनेज एक्ट के तहत मिला हुआ है। इस एक्ट के तहत केवल एक रुपए के नोट छापने का अधिकार वित्त मंत्रालय को है, लेकिन इस नोट और सिक्कों का बाजार में सर्कुलेशन आरबीआई के तहत ही आता है।इस एक्ट में हालांकि वक्त-वक्त पर कई बदलाव होते रहे हैं। एक रुपए के नोट पर आरबीआई के गर्वनर की बजाए वित्त सचिव का साइन होता है, साथ ही इस पर सिल्वर लाइन भी नहीं होती है, जो कि बाकी सभी नोटों में होती है। नोट के रंग में भी लगातार बदलाव हुए, जैसे पहला इसका रंग हरा था जो 1951 में तब के वित्त सचिव के जी अंबेगांवकर के कार्यकाल में नीला-बैंगनी सा हो गया। फिर 1966 में एस भूतलिंगम के दौरान नोट का साइज और छोटा हो गया। माना जाता है कि एक रुपए का नोट एकमात्र ऐसी करंसी है, जिसके रंग आकार और दस्तखत में बहुत बार बदलाव हुए। 30 नवंबर साल 2017 में एक रुपए के नोट के 100 साल पूरे होने पर नोट के संक्षिप्त इतिहास के साथ एक कार्ड भी जारी हुआ।

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