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कर्नाटक में स्वामी शिवकुमार को ‘जीवित भगवान’ मानते थे वहां के लोग

लिंगायत समुदाय के जाने माने धर्मगुरु और सिद्धगंगा मठ के महंत शिवकुमार स्वामी का 111 साल की उम्र में निधन हो गया है। लोग उन्हें जीवित भगवान मानते थे। बता दें कि शिवकुमार स्वामी का जन्म 1 अप्रैल 1907 को कर्नाटक के रामनगर जिले के वीरपुरा गांव में हुआ था। उनके अनुयायी उन्हें 12वीं शताब्दी के समाज सुधारक बसावा का अवतार मानते थे।

कर्नाटक में स्वामी शिवकुमार को 'जीवित भगवान' मानते थे वहां के लोग

उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बुहत काम किया है। वह सिद्धगंगा एजुकेशन सोसाइटी के प्रमुख भी थे। राज्य के लगभग 125 शैक्षणिक संस्थानों, इंजिनियरिंग कॉलेजों और बिजनेस स्कूलों तक का संचालन किया है। वह लिंगायत समुदाय के 300 साल पुराने सिद्धगंगा मठ के प्रमुख संत थे।

राज्य के कुल वोटरों में इस समुदाय का 18 प्रतिशत हिस्सा है। इनका 30 जिलों में बहुत अधिक प्रभाव है। इसलिए राजनीतिक दृष्टि से भी लिंगायतों का काफी महत्व है। इनके वोटर्स 100 से अधिक विधानसभा सीटों पर सीधा प्रभाव डालते हैं। इसलिए देश के बड़े-बड़े नेता भी स्वामी शिवकुमार के सामने सिर झुकाते थे। पीएम मोदी और राहुल गांधी सहित भारत के कई दिग्गज नेता उनका आशीर्वाद ले चुके हैं।

राज्य के कई नेता उन्हें भारत रत्न दिए जाने की मांग कर चुके हैं। वहीं आज उनके निधन के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने शिवकुमार के लिए भारत रत्न की मांग की है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा किए गए काम के लिए उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए। वहीं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा सहित कई नेता पहले भी उनके लिए भारत रत्न की मांग कर चुके हैं। 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण सम्मान से नवाजा था। वहीं उनके 100वें जन्मदिन के अवसर पर उन्हें 2007 की तत्कालीन सरकार ने कर्नाटक रत्न दिया है।

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