राष्ट्रीय

कांग्रेस ने मोदी सरकार को नोटबंदी पर उन्ही के आंकड़ों से घेरा

कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुये कहा है कि नोटबंदी के समय उसने कहा था कि कालाधन को पकड़ना और कर चोरी रोकना उसका उद्देश्य है, लेकिन सरकारी आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि पिछले एक साल में पकड़े गये कालेधन और कर चोरी की राशि में करीब एक चौथाई की कमी आयी है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि यदि नोटबंदी का मकसद कर की चोरी पकड़कर कालेधन को जब्त करना और जाली नोटों का पता लगाना था तो दोनों ही लक्ष्य हासिल नहीं हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार विदेशों में कालाधन रखने से संबंधित पनाम पेपर्स लीक मामले में सम्मलित लोगों को बचा रही है। सुरजेवाला ने बताया कि वित्त वर्ष 2013-14 में जब कांग्रेस ने सत्ता छोड़ी थी उस समय एक लाख एक हजार 750 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी गयी थी। पिछले वित्त वर्ष में यह कम होकर 27,000 करोड़ रुपये पर आ गयी और चालू वित्त वर्ष में अब तक यह राशि 18 से 20 हजार करोड़ रुपये बतायी जा रही है। इसके अलावा नोटबंदी से पहले 16 लाख 44 हजार करोड़ रुपये मूल्य के पाँच सौ और एक हजार रुपये के नोट प्रचलन में थे।

इनमें से 16 लाख 27 हजार करोड़ रुपये मूल्य के प्रतिबंधित पुराने नोट वापस बैंकों में जमा करा दिये गये जबकि रॉयल बैंक आफ नेपाल और भूटान के पास मौजूद प्रतिबंधित भारतीय मुद्रा के आँकड़े इसमें शामिल नहीं हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या इसका मतलब यह है कि 17,000 करोड़ रुपये से भी कम का कालाधन था? इसके अलावा मात्र 41 करोड़ रुपये की जाली मुद्रा का पता लगाया गया जो प्रतिबंधित नोटों का 0.0013 प्रतिशत थी। सुरजेवाला ने सूचना का अधिकार के तहत वित्त मंत्रालय की ओर से दिये गये आँकड़ों का हवाला दिया और मोदी सरकार से सवाल किया कि पनामा पेपर्स लीक मामले में गैरकानूनी ढंग से विदेशों में कालाधन जमा करने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करके प्रवर्तन निदेशालाय और केंद्रीय जांच ब्यूरो ने पूछताछ क्यों नहीं की? इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और काले धन को सफेद बनाने सम्बन्धी कानून के तहत मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि इससे यह साबित होता कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली पनामा पेपर्स लीक मामले में संलिप्त कालाधन रखने वालों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं? उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने पिछले साल 09 नवंबर से एक हजार और पांच सौ रुपये के नोटों को आम लेनदेन के लिए अमान्य कर दिया था। ।

Related Articles

Back to top button